कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कोयला संयंत्रों को प्रदूषण नियंत्रण से छूट पर उठाए सवाल

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सरकार की प्रदूषण नियंत्रण नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि लगभग 78 प्रतिशत कोयला आधारित संयंत्रों को प्रदूषण नियंत्रण प्रणालियों से छूट देना गलत है। उन्होंने चेतावनी दी कि सल्फर डाइऑक्साइड का मानव स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है और यह मानसून को भी प्रभावित कर सकता है। रमेश ने इस नीति को त्रुटिपूर्ण बताते हुए एनएएक्यूएस में संशोधन की आवश्यकता पर जोर दिया।
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कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कोयला संयंत्रों को प्रदूषण नियंत्रण से छूट पर उठाए सवाल

सरकार की प्रदूषण नियंत्रण नीति पर सवाल

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने रविवार को सरकार द्वारा लगभग 78 प्रतिशत कोयला आधारित संयंत्रों को प्रमुख प्रदूषण नियंत्रण प्रणालियों से छूट देने के निर्णय पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय की इस नीति का आधार गलत है।


रमेश ने यह भी बताया कि राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों (एनएएक्यूएस) में संशोधन की कमी के कारण सरकार की नीति निर्माण प्रक्रिया में गंभीर त्रुटियाँ हैं। केंद्र सरकार ने कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों के लिए सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जन मानदंडों का पालन करने की समय सीमा को फिर से बढ़ा दिया है, और अत्यधिक प्रदूषित क्षेत्रों या दस लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों से दूर स्थित संयंत्रों को पूरी तरह से छूट दे दी है।


उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि मोदी सरकार ने पहले ही भारत को सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जन में वैश्विक नेता बना दिया है। अब यह स्पष्ट हो गया है कि पर्यावरण मंत्रालय ने भारत के 78-89% ताप विद्युत संयंत्रों को सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी लाने वाले फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन (एफजीडी) सिस्टम लगाने से छूट दे दी है।


कांग्रेस महासचिव ने यह भी बताया कि एफजीडी सिस्टम लगाने की समय सीमा पहले 2017 में निर्धारित की गई थी, जिसे कई बार बढ़ाया गया है। रमेश ने चेतावनी दी कि सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ2) मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है और यह बादलों के निर्माण की प्रक्रिया को भी प्रभावित करता है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा, यानी मानसून, पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।