कांग्रेस की बिहार चुनाव हार: राहुल गांधी और खरगे की बैठक में उठे गंभीर सवाल
कांग्रेस की बैठक के बाद उठे मुद्दे
नई दिल्ली: बिहार में मिली करारी हार के एक दिन बाद, राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस चुनाव में कांग्रेस को 61 में से केवल 6 सीटें मिलीं, जो पिछले 15 वर्षों में पार्टी का दूसरा सबसे खराब प्रदर्शन है। यह हार न केवल कांग्रेस के लिए, बल्कि पूरे महागठबंधन के लिए भी एक बड़ा झटका साबित हुई। इस बैठक में राहुल और खरगे के साथ केसी वेणुगोपाल, अजय माकन और बिहार के प्रभारी कृष्णा अल्लावरु भी शामिल हुए। बैठक में चर्चा का केंद्र चुनावी हार के कारण, संगठन की कमजोरियों और चुनाव आयोग की भूमिका रही। बैठक के बाद राहुल बिना कोई टिप्पणी किए बाहर निकल गए, लेकिन कांग्रेस नेताओं के बयानों से स्पष्ट हो गया कि पार्टी हार को स्वीकार करने के मूड में नहीं है.
वेणुगोपाल का चुनाव आयोग पर तीखा हमला
केसी वेणुगोपाल ने कहा कि बिहार के चुनाव परिणाम ‘अविश्वसनीय’ हैं और उन पर विश्वास करना कठिन है। उनका दावा है कि NDA का 90% से अधिक स्ट्राइक रेट भारतीय चुनावों के इतिहास में लगभग असंभव है। उन्होंने चुनाव प्रक्रिया को संदिग्ध बताते हुए चुनाव आयोग की भूमिका को एकतरफा करार दिया। वेणुगोपाल ने कहा कि पार्टी जल्द ही डेटा इकट्ठा कर ‘कंक्रीट प्रूफ’ पेश करेगी.
वेणुगोपाल ने यह भी कहा कि जनता इन नतीजों को मानने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने याद दिलाया कि हरियाणा के चुनाव में भी कांग्रेस ने ‘रिगिंग’ का आरोप लगाया था और उस समय सबूत चुनाव आयोग के सामने पेश किए गए थे.
राहुल गांधी पर बढ़ता दबाव
राहुल की बिहार चुनावी रणनीति ‘वोट चोरी’ के आरोपों पर आधारित थी। EVM, वोटर लिस्ट और चुनाव आयोग पर राहुल ने बार-बार निशाना साधा। लेकिन जब परिणाम NDA के पक्ष में आए और कांग्रेस का प्रदर्शन खराब रहा, तो सवाल उठने लगे कि क्या यह रणनीति प्रभावी रही। शुक्रवार को राहुल ने कहा था कि चुनाव शुरू से ही ‘फेयर’ नहीं था, जिससे ऐसे नतीजे आए। लेकिन अब कांग्रेस की चर्चा का फोकस इस बात पर है कि पार्टी खुद को कैसे संभाले और क्या हार का ठीकरा केवल ECI पर फोड़ना सही रणनीति है.
महागठबंधन में अविश्वास की स्थिति
NDA की सुनामी ने केवल कांग्रेस को ही नहीं, बल्कि महागठबंधन को भी हिला दिया है। तेजस्वी यादव की उम्मीदें टूट गई हैं, वाम दल भी कमजोर हो गए हैं और कांग्रेस का अस्तित्व लगभग समाप्त हो गया है। कई सहयोगी दलों ने कांग्रेस की कमजोर चुनावी रणनीति की आलोचना शुरू कर दी है। यह हार विपक्ष के लिए एक बड़ा मनोवैज्ञानिक झटका है, जिससे उबरना आसान नहीं होगा.
कांग्रेस का अगला कदम क्या होगा?
पार्टी अब अगले 1-2 हफ्तों में चुनाव आयोग पर सीधा हमला करते हुए तथाकथित ‘सबूत’ पेश करने की योजना बना रही है। सवाल यह है कि क्या कांग्रेस एक बार फिर वही रणनीति अपनाएगी, जिसने हरियाणा के बाद भी उसे लाभ नहीं दिया? या फिर बिहार की हार पार्टी के भीतर बड़े बदलावों की शुरुआत का संकेत बनेगी?
