कांग्रेस की नई योजना VB-G-RAM-G: मनरेगा का स्थान लेने की तैयारी

कांग्रेस ने हाल ही में VB-G-RAM-G बिल को मंजूरी दी है, जो 20 साल पुरानी मनरेगा योजना का स्थान लेगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा इस बिल पर हस्ताक्षर के बाद, विपक्ष ने इसे महात्मा गांधी का अपमान मानते हुए तीखी आलोचना की है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मनरेगा की पृष्ठभूमि और इसकी शुरुआत के बारे में जानकारी साझा की है। जानें इस नए कानून के तहत रोजगार की गारंटी और कांग्रेस के आंदोलन की योजना के बारे में।
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कांग्रेस की नई योजना VB-G-RAM-G: मनरेगा का स्थान लेने की तैयारी

कांग्रेस का नया रोजगार कानून

कांग्रेस की नई योजना VB-G-RAM-G: मनरेगा का स्थान लेने की तैयारी

जयराम रमेश

विकसित भारत-रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) गारंटी, जिसे VB-G-RAM-G बिल कहा जाता है, अब 20 साल पुरानी मनरेगा योजना का स्थान लेगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस बिल को 21 दिसंबर को मंजूरी दी, जिसके बाद यह कानून बन गया है। मनरेगा के नाम में बदलाव को लेकर विपक्ष ने मोदी सरकार पर तीखा हमला किया है, इसे महात्मा गांधी का अपमान मानते हुए कांग्रेस ने आंदोलन की योजना बनाई है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बताया कि मनरेगा योजना की शुरुआत कैसे हुई थी। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा कि 1970 के दशक में महाराष्ट्र में वी.पी. नाइक के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने सूखे के संकट से निपटने के लिए रोजगार गारंटी योजना की शुरुआत की थी।

रोजगार आश्वासन योजना की शुरुआत

उन्होंने आगे बताया कि 1980 के दशक में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम (NREP) और ग्रामीण भूमिहीन रोजगार गारंटी कार्यक्रम (RLEGP) की घोषणा की। इसके बाद 1990 के दशक की शुरुआत में, प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिंह राव ने देश के 100 सबसे गरीब ज़िलों में रोजगार आश्वासन योजना की घोषणा की।

नए कानून के तहत 100 दिनों का रोजगार

जयराम रमेश ने कहा कि अप्रैल 2002 में कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों की बैठक में ग्रामीण रोजगार से जुड़ी योजनाओं की समीक्षा की गई। मार्च 2004 में कांग्रेस के चुनाव घोषणा-पत्र में ग्रामीण परिवारों को साल में 100 दिनों के रोजगार की कानूनी गारंटी देने का वादा किया गया। यह विचार प्रशासनिक आश्वासन के बजाय कानूनी गारंटी का था।

मोदी सरकार की आलोचना

कांग्रेस नेता ने कहा कि यही मनरेगा (MGNREGA) की पृष्ठभूमि है। सोनिया गांधी और डॉ. मनमोहन सिंह ने इसे गांवों में बदलाव लाने के लिए एक प्रभावी औज़ार के रूप में विकसित किया। अब मोदी सरकार ने इसे पूरी तरह से समाप्त कर दिया है। उन्होंने बताया कि कांग्रेस आने वाले दिनों में मनरेगा को खत्म करने के फैसले के खिलाफ एक जन आंदोलन की घोषणा करेगी।