क़तर में इज़राइली हमले का मुख्य लक्ष्य: हमास नेता खलील अल-हाया

खलील अल-हाया, जो हाल ही में हमास के नेता बने हैं, इज़राइल के हमले का मुख्य लक्ष्य बन गए हैं। उनका जीवन और संगठन के साथ उनका दशकों पुराना संबंध, साथ ही क़तर में हालिया हमले का प्रयास, इस लेख में विस्तृत रूप से चर्चा की गई है। जानें कैसे उन्होंने 2014 में संघर्ष विराम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और ईरान के साथ उनके संबंधों के बारे में।
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क़तर में इज़राइली हमले का मुख्य लक्ष्य: हमास नेता खलील अल-हाया

हमास के नए नेता का उदय

इज़राइल के हमलों में वरिष्ठ हमास नेताओं इस्माइल हनिया और याह्या सीनवार की मौत के बाद, खलील अल-हाया ने संगठन में नेतृत्व की भूमिका संभाली है। गाज़ा के प्रमुख और मुख्य वार्ताकार के रूप में, वह अब हमास के सबसे प्रभावशाली प्रतिनिधि बन गए हैं।


दोहा में हमले का प्रयास

हाल ही में क़तर की राजधानी दोहा में खलील अल-हाया को लक्षित करने के लिए एक इज़राइली हमले का प्रयास किया गया। वह वहाँ इज़राइल और फिलिस्तीन के बीच संभावित संघर्ष विराम पर अमेरिकी प्रस्ताव पर चर्चा करने गए थे। यह संवाद क़तर की मध्यस्थता में हो रहा था।


संगठन के साथ दशकों पुराना संबंध

1960 में गाज़ा पट्टी में जन्मे हाया का हमास के साथ संबंध 1987 में इसके गठन से शुरू हुआ। 1980 के दशक की शुरुआत में, उन्होंने मुस्लिम ब्रदरहुड का हिस्सा बनकर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की, जो बाद में हमास के गठन में परिवर्तित हुआ।


2014 में महत्वपूर्ण भूमिका

खलील अल-हाया ने 2014 में इज़राइल के साथ संघर्ष विराम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके बाद, उन्होंने गाज़ा छोड़ दिया और हमास के अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि के रूप में काम करना शुरू किया। उन्होंने क़तर को अपना नया ठिकाना बनाया और अरब और इस्लामी देशों के साथ संगठन के संबंधों को मजबूत किया।


ईरान के साथ मजबूत संबंध

हाया के ईरान के साथ भी मजबूत संबंध होने की बात कही जाती है। ईरान को हमास के लिए हथियारों और वित्तीय सहायता का एक प्रमुख स्रोत माना जाता है। संगठन के अंतरराष्ट्रीय चेहरे के रूप में, हाया की भूमिका लगातार महत्वपूर्ण होती जा रही है।