कश्मीर में पिता की आत्मदाह की कोशिश: महबूबा मुफ्ती ने उठाए गंभीर सवाल
कश्मीर में हिरासत के बाद पिता की आत्मदाह की घटना
महबूबा मुफ्ती
कश्मीर में सुरक्षा बलों द्वारा लगातार छापेमारी की जा रही है, जिसके चलते सैकड़ों लोग हिरासत में लिए जा चुके हैं। इसी संदर्भ में, वानपोरा के निवासी बिलाल वानी ने अपने बेटे जासिर और भाई नबील की गिरफ्तारी के बाद आत्मदाह का प्रयास किया। बिलाल कई दिनों से उनके रिहाई की गुहार लगा रहे थे, लेकिन उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित होने के बावजूद उन्हें मिलने नहीं दिया गया।
पुलिस ने हिरासत में लिए गए अपने परिजनों से मिलने की अनुमति नहीं दी, जिसके बाद बिलाल ने खुद को आग लगा ली। इस घटना ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं और कश्मीर के नेताओं ने इस मुद्दे पर अपनी आवाज उठाई है। महबूबा मुफ्ती ने कश्मीरी युवाओं की मनमानी हिरासत पर सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को कठोर आलोचना की है।
मिलने की अनुमति की मांग
महबूबा मुफ्ती ने सोशल मीडिया पर लिखा, “वानपोरा काजीगुंड के एक दुखी पिता बिलाल वानी ने अपने बेटे जसीर और भाई नवील की हिरासत के बाद आत्मदाह का प्रयास किया। उन्होंने अधिकारियों से केवल उनसे मिलने की गुहार लगाई, लेकिन उनकी यह मांग ठुकरा दी गई। उन्हें गंभीर हालत में श्रीनगर के एसएमएचएस अस्पताल में भर्ती कराया गया है।”
Bilal Wani an anguished father from Wanpora Qazigund has set himself on fire after his son Jasir Bilal & brother Naveel Wani were detained by the police a few days ago. Petrified about their safety he pleaded with the authorities to just see them which was denied. He has been pic.twitter.com/9ML6ejvUme
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) November 16, 2025
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि इस तरह की मनमानी केवल जख्मों को और गहरा करती है और निराशा को बढ़ावा देती है। जब युवाओं को बेतरतीब ढंग से हिरासत में लिया जाता है, तो यह एक पूरी पीढ़ी को भय और निराशा की ओर धकेलने का खतरा पैदा करता है। उन्होंने पुलिस से अपील की कि कम से कम हिरासत में लिए गए व्यक्तियों से मिलने की अनुमति दी जाए।
भारत सरकार के पास विकल्प
महबूबा मुफ्ती के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए इल्तिजा मुफ्ती ने कहा, “भारत सरकार के पास एक विकल्प है। आप कश्मीरियों को आतंकवादी मानकर उनके मन में अविश्वास और अलगाव को बढ़ा सकते हैं, या फिर न्याय के लिए एक मानवीय दृष्टिकोण अपना सकते हैं, जिससे किसी कश्मीरी की गरिमा को ठेस न पहुंचे।”
