कश्मीर का विकास: अमित शाह का ऐतिहासिक बयान

कश्मीर का भारत में पुनः एकीकरण
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही में एक कार्यक्रम में कहा कि उन्हें गर्व है कि कश्मीर अब एक बार फिर से भारत का अभिन्न हिस्सा बन गया है और विकास की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
उन्होंने बताया कि कश्मीर में लोकतंत्र की स्थापना हुई है और उन्हें विश्वास है कि जो कुछ भी खोया गया है, उसे जल्द ही पुनः प्राप्त किया जाएगा।
अमित शाह ने कश्मीरी, डोगरी, बालटी और झंस्कारी भाषाओं को सरकारी मान्यता देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि पीएम का यह प्रयास दर्शाता है कि वह कश्मीर की स्थानीय भाषाओं के प्रति कितने संवेदनशील हैं।
कश्मीर का ऐतिहासिक महत्व
गृहमंत्री ने यह भी कहा कि कश्मीर हमेशा भारत का हिस्सा रहा है और इसे अलग करने के प्रयास विफल हो गए हैं। उन्होंने इतिहास लेखन के संदर्भ में कहा कि यह लुटियंस दिल्ली में बैठकर नहीं लिखा जा सकता, बल्कि इसे वास्तविकता के आधार पर समझना होगा।
उन्होंने भारत के इतिहासकारों से अपील की कि वे प्रमाणों के आधार पर इतिहास लिखें। अमित शाह ने कश्मीर को कश्यप की भूमि के रूप में संदर्भित किया, यह सुझाव देते हुए कि इसका नाम भी कश्यप से हो सकता है।
भारत की सांस्कृतिक एकता
अमित शाह ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जिसकी सीमाएं सांस्कृतिक परंपराओं पर आधारित हैं, और इसीलिए कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है। उन्होंने कहा कि भारत को समझने के लिए जियो संस्कृति को समझना आवश्यक है।
उन्होंने यह भी बताया कि कश्मीर में भारत की संस्कृति की नींव पड़ी थी, और यह लद्दाख में मंदिरों के विनाश और कश्मीर में आजादी के बाद की गलतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि अब उन्हें सुधारने का प्रयास किया जा रहा है।
धारा-370 का प्रभाव
कार्यक्रम के दौरान, गृहमंत्री ने धारा-370 और अनुच्छेद 35A को देश की एकता में बाधा डालने वाले प्रावधान बताया। उन्होंने कहा कि इन धाराओं को अस्थायी रूप से बनाया गया था, लेकिन मोदी सरकार ने इस अध्याय को समाप्त कर दिया है।
उन्होंने बताया कि धारा-370 ने कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा दिया और आतंकवाद को जन्म दिया, लेकिन अब इसके हटने के बाद कश्मीर में आतंकवाद में कमी आई है।