कलराज मिश्र का 84वां जन्मदिन: एक राजनीतिक यात्रा की कहानी
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कलराज मिश्र आज 84 वर्ष के हो गए हैं। उनके जन्मदिन के अवसर पर, हम उनकी राजनीतिक यात्रा और अयोध्या आंदोलन में उनकी भूमिका पर एक नज़र डालते हैं। जानें कैसे उन्होंने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण मोड़ देखे और भारतीय राजनीति में अपनी पहचान बनाई।
Jul 1, 2025, 11:31 IST
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कलराज मिश्र का जन्मदिन
भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेता और राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कलराज मिश्र आज, 01 जुलाई को अपने 84वें जन्मदिन का जश्न मना रहे हैं। इससे पहले, वह हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल भी रह चुके हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ने के बाद, कलराज मिश्र आरएसएस के पूर्णकालिक प्रचारक बने। आइए, उनके जन्मदिन के अवसर पर उनके जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्प जानकारियों पर नजर डालते हैं...
जन्म
कलराज मिश्र का जन्म 01 जुलाई 1941 को गाजीपुर के मलिकपुर में हुआ। उन्होंने पहले आरएसएस से जुड़कर काम किया और बाद में भारतीय जनता युवा मोर्चा के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बने।
राजनीतिक सफर
कलराज मिश्र को बाबरी मस्जिद के खिलाफ अयोध्या आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का श्रेय दिया जाता है। उस समय, वह प्रदेश अध्यक्ष और विधायक थे। 1991 के विधानसभा चुनाव से पहले और बाबरी ढांचे के खिलाफ आंदोलन के दौरान कई कार्यकर्ताओं की जान गई थी। तब उन्होंने विश्वास के साथ कहा था कि इस चुनाव में उन्हें बहुमत मिलेगा और वह अपनी सरकार बनाएंगे।
इसके बाद, भारतीय जनता पार्टी ने बहुमत से सरकार बनाई और 1991 में कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। एक साल बाद विवादित बाबरी ढांचा गिराया गया। कलराज मिश्र पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी कहा कि वह सरकार बनाएंगे और ऐसा करके दिखाया। हालांकि, उन्हें पार्टी की उन्नति का उतना श्रेय नहीं मिला, जितना कि वह हकदार थे।
केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटाए जाने के बाद, कलराज मिश्र को राज्यपाल बनने के लिए काफी समय इंतजार करना पड़ा। लेकिन वह एक दूरदर्शी नेता हैं। मोदी सरकार में, उनके पास लघु, सूक्ष्म और मध्यम उद्यम मंत्रालय था। इस दौरान, उन्होंने पूर्वांचल यूपी में कई योजनाएं बनाई और आर्थिक क्रांति लाने का प्रयास किया। पूर्वांचल में आर्थिक बदलाव लाने का श्रेय कलराज मिश्र को ही जाता है।
कलराज मिश्र अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी सहयोगी रहे हैं और उत्तर प्रदेश में बीजेपी के ब्राह्मण चेहरे के रूप में जाने जाते हैं। हालांकि, सरकार ने उनके बारे में थोड़ा कम या देर से सोचा। जब उन्हें राजस्थान में राज्यपाल का पद मिला, तो ऐसा लगा जैसे पार्टी ने एक दिग्गज नेता के साथ न्याय किया है। कलराज मिश्र ने अपनी बेदाग छवि के साथ एक लंबी राजनीतिक यात्रा तय की है।