कर्नाटक हाईकोर्ट ने अतुल सुभाष केस में निकिता की याचिका खारिज की

कर्नाटक हाईकोर्ट ने अतुल सुभाष केस में निकिता सिंघानिया द्वारा FIR रद्द करने की याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में सभी सबूत मौजूद हैं। निकिता के वकील ने अदालत में तर्क दिया कि शिकायत में कोई ठोस तथ्य नहीं है। इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए नोटिस जारी किया गया है। जानें इस विवादास्पद मामले की पूरी कहानी और इसके पीछे के कारण।
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कर्नाटक हाईकोर्ट ने अतुल सुभाष केस में निकिता की याचिका खारिज की

अतुल सुभाष केस में हाईकोर्ट का फैसला


सोमवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय में अतुल सुभाष मामले की सुनवाई हुई। निकिता द्वारा FIR रद्द करने की याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में सभी आवश्यक सबूत मौजूद हैं।


बेंच ने निकिता सिंघानिया से सवाल किया कि क्या वह जांच में सहयोग नहीं करना चाहतीं, क्योंकि शिकायत में अपराध के तत्व स्पष्ट हैं। निकिता के वकील ने अदालत को बताया कि FIR में आत्महत्या के लिए उकसाने का कोई ठोस आधार नहीं है।


वकील ने यह भी कहा कि अतुल ने अपनी पत्नी या परिवार के सदस्यों के खिलाफ किसी भी ऐसे कार्य का उल्लेख नहीं किया, जिसके कारण आत्महत्या की नौबत आई। अदालत ने मामले में दूसरे पक्ष को नोटिस जारी किया और उन्हें आपत्तियां दर्ज करने का निर्देश दिया।


इससे पहले, बेंगलुरु की निचली अदालत ने निकिता और उसके परिवार को जमानत दी थी। अतुल के परिवार ने कहा कि वे उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील करेंगे।


अतुल के पिता पवन कुमार मोदी ने चिंता जताई कि यदि निकिता को जमानत मिलती है, तो वह उनके पोते की सुरक्षा को खतरे में डाल सकती है। उन्होंने कहा कि निकिता ने पैसे मांगने के लिए कई बार अदालत का दरवाजा खटखटाया।


अतुल सुभाष का मामला 14 दिसंबर को तब शुरू हुआ जब निकिता को गिरफ्तार किया गया। अतुल ने अपने सुसाइड नोट में अपनी पत्नी और रिश्तेदारों पर उत्पीड़न का आरोप लगाया था।


अतुल और निकिता की शादी 2019 में हुई थी और उनका एक चार वर्षीय बेटा है। अतुल के माता-पिता ने अपने पोते की कस्टडी के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।