कर्नाटक हाई कोर्ट ने दंगों से जुड़े मामलों को वापस लेने का आदेश खारिज किया
कर्नाटक हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के उस आदेश को खारिज कर दिया है, जिसमें 2022 के हुबली दंगों से जुड़े 43 आपराधिक मामलों को वापस लेने का निर्देश दिया गया था। इस निर्णय ने सरकार को एक कानूनी झटका दिया है और विपक्ष ने इसे अल्पसंख्यक समुदाय को खुश करने का प्रयास बताया है। जानें इस महत्वपूर्ण फैसले के पीछे की वजहें और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं।
May 29, 2025, 15:56 IST
|

कर्नाटक हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के उस निर्णय को अस्वीकार कर दिया है, जिसमें 2022 के हुबली दंगों से संबंधित 43 आपराधिक मामलों को वापस लेने का आदेश दिया गया था। इन मामलों में विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ता, राजनेता और अन्य प्रमुख व्यक्ति शामिल थे। अदालत ने इस आदेश को सरकार के लिए एक कानूनी झटका माना है, जो 10 अक्टूबर को जारी किया गया था। यह निर्णय अधिवक्ता गिरीश भारद्वाज द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) के माध्यम से चुनौती दी गई थी, जिसमें इस कदम की वैधता पर सवाल उठाए गए थे। मुख्य न्यायाधीश एनवी अंजारिया और न्यायमूर्ति केवी अरविंद की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने जनहित याचिका को स्वीकार करते हुए सरकार की कार्रवाई पर गंभीर चिंता व्यक्त की।
अदालत का निर्णय और इसके प्रभाव
अदालत ने अपने निर्णय में वापसी के आदेश को अवैध घोषित करते हुए 15 अक्टूबर, 2024 की सरकारी अधिसूचना को भी रद्द कर दिया। इस फैसले से कर्नाटक सरकार को इन हाई-प्रोफाइल आपराधिक मामलों को वापस लेने से रोका गया है। विपक्षी भाजपा ने पहले ही हुबली दंगों के मामलों को वापस लेने के कर्नाटक सरकार के कदम की आलोचना की थी, यह आरोप लगाते हुए कि कांग्रेस सरकार मुस्लिम समुदाय को खुश करने का प्रयास कर रही है।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्ष के उपनेता अरविंद बेलाड ने इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा, “ये वही लोग हैं जिन्होंने पुलिस स्टेशन और पुलिस पर हमला किया। उन्होंने पुलिस को जिंदा जलाने की कोशिश की। लेकिन कांग्रेस सरकार मुस्लिम समुदाय और अल्पसंख्यक वोटों को खुश करने के लिए ऐसा कर रही है। यह कांग्रेस के डीएनए में है।”