कर्नाटक सरकार के दशहरा उत्सव में बानू मुश्ताक को आमंत्रित करने पर कानूनी विवाद
कर्नाटक सरकार ने मैसूर में होने वाले दशहरा उत्सव में बानू मुश्ताक को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है, जिसके खिलाफ चार जनहित याचिकाएँ दायर की गई हैं। याचिकाकर्ता इस निर्णय को हिंदू धार्मिक भावनाओं के खिलाफ मानते हैं। उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई अगले सप्ताह तय की है। जानें इस विवाद के पीछे के तर्क और प्रताप सिम्हा की आपत्ति।
Sep 11, 2025, 18:15 IST
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दशहरा उत्सव में बानू मुश्ताक का आमंत्रण विवादित
कर्नाटक सरकार ने मैसूर में होने वाले दशहरा उत्सव में बुकर पुरस्कार विजेता बानू मुश्ताक को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है, जिसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू हो गई है। कर्नाटक उच्च न्यायालय में चार जनहित याचिकाएँ (पीआईएल) दायर की गई हैं। इनमें से एक याचिका पूर्व भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा द्वारा प्रस्तुत की गई है, जबकि अन्य तीन नागरिकों ने भी इसी प्रकार की याचिकाएँ दायर की हैं, जिनमें सरकार के निर्णय को वापस लेने की मांग की गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि मुश्ताक का आमंत्रण हिंदू धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाता है और यह महोत्सव परंपरा के अनुसार होना चाहिए।
गुरुवार को उच्च न्यायालय ने मामले की तत्काल सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि इसे चार दिनों के भीतर सूचीबद्ध किया जाएगा। याचिकाओं पर अगले सप्ताह सुनवाई होने की संभावना है, लेकिन राज्य सरकार ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। मैसूर दशहरा उत्सव, जो कर्नाटक के प्रमुख सांस्कृतिक आयोजनों में से एक है, इस महीने के अंत में शुरू होने वाला है। प्रताप सिम्हा ने इस निर्णय पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह परंपरा देवी चामुंडी की भक्ति से जुड़ी रही है। उन्होंने कहा कि बानू मुश्ताक को आमंत्रित किया गया है और उन्होंने इसे स्वीकार भी किया है।
सिम्हा ने आगे कहा, 'मैं केवल इसलिए विरोध नहीं कर रहा क्योंकि वह मुसलमान हैं। हमें उनकी उपलब्धियों पर गर्व है, और उन्होंने साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। लेकिन क्या बानू मुश्ताक देवी चामुंडी में आस्था रखती हैं? क्या उन्होंने कभी हमारे रीति-रिवाजों का पालन किया है? क्या उन्होंने कभी कहा है कि वह देवी चामुंडेश्वरी की भक्त हैं? फिर उन्हें क्यों आमंत्रित किया गया?'