कर्नाटक विधायक ने नितिन गडकरी को बताया मोदी का संभावित उत्तराधिकारी

कर्नाटक के वरिष्ठ कांग्रेस विधायक बेलूर गोपालकृष्ण ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संभावित उत्तराधिकारी बताया है। उनकी यह टिप्पणी आरएसएस नेता की एक टिप्पणी के जवाब में आई है, जिसने भाजपा के आंतरिक उत्तराधिकार पर बहस को फिर से सक्रिय कर दिया है। गोपालकृष्ण ने गडकरी के विकास कार्यों की सराहना की और कहा कि उन्हें देश का अगला प्रधानमंत्री होना चाहिए। उन्होंने भाजपा पर नेतृत्व में आयु सीमा के मामले में दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप भी लगाया।
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कर्नाटक विधायक ने नितिन गडकरी को बताया मोदी का संभावित उत्तराधिकारी

राजनीतिक चर्चा का नया मोड़

कर्नाटक के वरिष्ठ कांग्रेस विधायक बेलूर गोपालकृष्ण ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उपयुक्त उत्तराधिकारी बताते हुए राजनीतिक बहस को जन्म दिया है। यह टिप्पणी नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान आरएसएस नेता की उस बात के जवाब में आई, जिसमें उन्होंने मोरोपंत पिंगले के 75 वर्ष के बाद सत्ता से हटने के सिद्धांत का उल्लेख किया था। हालांकि, आरएसएस प्रमुख ने किसी विशेष व्यक्ति का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके बयान ने भाजपा के आंतरिक उत्तराधिकार पर चर्चा को फिर से सक्रिय कर दिया है।


 


गडकरी के नेतृत्व की आवश्यकता


गोपालकृष्ण ने मीडिया से बातचीत में कहा कि नितिन गडकरी को देश का अगला प्रधानमंत्री बनना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि गडकरी आम जनता से जुड़े हुए हैं और उन्होंने राष्ट्रीय विकास, विशेषकर सड़क अवसंरचना में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने यह भी बताया कि लोग उनकी सेवाओं और मूल्यों को पहचानते हैं। कांग्रेस नेता ने गडकरी के एक हालिया भाषण का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने देश में बढ़ती आर्थिक असमानता पर चिंता व्यक्त की थी।


 


समावेशी विकास की दृष्टि


गोपालकृष्ण ने कहा कि गडकरी के पास समावेशी विकास के लिए एक स्पष्ट दृष्टिकोण है, और ऐसे व्यक्तियों को नेतृत्व का अवसर मिलना चाहिए। यदि आरएसएस 75 वर्ष के बाद नेताओं को सेवानिवृत्त करने में विश्वास करता है, तो यह बदलाव का समय है, और गडकरी इस मानदंड पर खरे उतरते हैं। भाजपा पर निशाना साधते हुए, उन्होंने पार्टी पर नेतृत्व में आयु सीमा के मामले में दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा का उदाहरण दिया, जिन्हें 75 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया था।