कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद के लिए जी परमेश्वर का समर्थन बढ़ा

कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर के समर्थकों ने दिल्ली में इकट्ठा होकर उनकी मुख्यमंत्री बनने की मांग की है। समर्थकों का कहना है कि परमेश्वर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के बीच मजबूत समर्थन जुटाने में सफल रहे हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री पद के लिए उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार भी दावेदार हैं, जिससे पार्टी में सत्ता संघर्ष की स्थिति बनी हुई है। जानें इस राजनीतिक घटनाक्रम के बारे में और कैसे यह कर्नाटक की राजनीति को प्रभावित कर सकता है।
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कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद के लिए जी परमेश्वर का समर्थन बढ़ा

कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद की मांग

कर्नाटक के गृह मंत्री और कांग्रेस नेता जी परमेश्वर के समर्थकों ने शनिवार को दिल्ली में इंदिरा भवन के पास एकत्र होकर यह मांग की कि उन्हें राज्य का अगला मुख्यमंत्री बनाया जाए। उनके समर्थकों का मानना है कि परमेश्वर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के बीच मजबूत समर्थन जुटाने में सफल रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस पार्टी से अनुरोध किया है कि अगला मुख्यमंत्री एक दलित नेता होना चाहिए, जो समुदाय के भीतर परमेश्वर के समर्थन को दर्शाता है।


समर्थकों की आवाज़

एक समर्थक ने कहा, "हम कर्नाटक से दिल्ली आए हैं ताकि दलित मुख्यमंत्री की मांग कर सकें। अगर सिद्धारमैया को हटाया जाता है, तो जी परमेश्वर को उनकी जगह नियुक्त किया जाना चाहिए।" एक अन्य समर्थक ने कहा, "हम जी परमेश्वर को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। मैं तुमकुर से हूं और अगर मुख्यमंत्री बदला जाता है, तो हमें जी परमेश्वर चाहिए।"


मुख्यमंत्री पद की जटिलता

हालांकि, मुख्यमंत्री पद तक पहुंचने का रास्ता आसान नहीं है, क्योंकि उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार भी इस पद के लिए दावेदार हैं और पार्टी के उच्च कमान पर उनका प्रभाव है। ये प्रदर्शन कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी के भीतर चल रहे संघर्ष को उजागर करते हैं, जहां कई नेता सत्ता की दौड़ में लगे हुए हैं। यह विवाद तब शुरू हुआ जब सरकार ने अपना आधा कार्यकाल पूरा किया, जिससे नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें तेज हो गईं।


परमेश्वर की दावेदारी

जी परमेश्वर ने शीर्ष पद के लिए अपनी दावेदारी को मजबूत करते हुए पार्टी की सफलता में अपने योगदान को रेखांकित किया है। उन्होंने कहा, "मैं स्वाभाविक रूप से इस दौड़ में था, क्योंकि कांग्रेस पार्टी में यह परंपरा है कि पीसीसी अध्यक्ष को अक्सर मौका दिया जाता है।" कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खर्गे ने स्पष्ट किया है कि नेतृत्व को लेकर असमंजस केवल स्थानीय स्तर पर है, जबकि पार्टी के उच्च कमान में स्थिति स्पष्ट है।