कर्नाटक में बिहार चुनाव की राजनीतिक हलचल: प्रवासी वोटरों की अपील

कर्नाटक में राजनीतिक गतिविधियों का बढ़ता प्रभाव

कर्नाटक में वोटरों की संख्या बढ़ाने के लिए सक्रिय हुई राजनीतिक पार्टियां
बिहार चुनाव की राजनीतिक लहर अब कर्नाटक तक पहुंच चुकी है। विशेष रूप से बेंगलुरु में, प्रवासी बिहारियों के बीच राजनीतिक गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं। सभी पार्टियां प्रवासी मजदूरों के घर लौटने को एक अवसर मानते हुए वोट बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं। प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी ने कर्नाटक में अपनी गतिविधियों को तेज कर दिया है, और वह प्रवासी बिहारियों से नवंबर में घर लौटकर वोट डालने की अपील कर रही है।
राज्य श्रम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, कर्नाटक में लगभग 24 हजार पंजीकृत प्रवासी मजदूर हैं, जबकि राजनीतिक दलों का दावा है कि यह संख्या लगभग 10 लाख है, जिनमें से अधिकांश बैंगलुरू में निवास करते हैं।
जनसुराज पार्टी की सक्रियता
प्रशांत किशोर के नेतृत्व में जनसुराज पार्टी पिछले पांच महीनों से कर्नाटक में बिहारियों के बीच सक्रिय रूप से प्रचार कर रही है। हाल ही में, पार्टी ने बेंगलुरु के गांधी भवन में ‘बेंगलुरु से बिहार बदलाव’ नामक एक कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें बिहार के कई मजदूर, छात्र और उद्योगपति शामिल हुए।
इस कार्यक्रम में जनसुराज के बिहार प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती ने कहा कि बिहार में भ्रष्टाचार और दोषपूर्ण चुनाव प्रणाली शासन की जड़ हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी पार्टी इस व्यवस्था को बदलने की इच्छा नहीं रखती। उन्होंने प्रवासी बिहारियों से अपील की कि वे नवंबर में घर लौटकर मतदान करें और शिक्षा, रोजगार और विकास के आधार पर वोट दें, न कि धन या जाति के आधार पर।
त्योहारों का समय और चुनाव
इस बार चुनाव दिवाली और छठ के आसपास हो रहे हैं, जिससे बेंगलुरु में रहने वाले बिहारी दुविधा में हैं। कई लोग त्योहार के लिए घर जाने के लिए उत्सुक हैं, लेकिन उन्हें संदेह है कि क्या वे 11 नवंबर तक वोट डालने के लिए रुक पाएंगे।
यशवंतपुर के एक परिवहन कर्मचारी ने कहा, “छठ 28 अक्टूबर को समाप्त हो रहा है और पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को है। छुट्टी बढ़ाना मुश्किल है। हम वोट देना चाहते हैं, लेकिन एक ही हफ्ते में दो बार जाना महंगा पड़ेगा।”