कर्नाटक में नया सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण, 90 दिनों में पूरा होगा

कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने एक विशेष कैबिनेट बैठक में नए सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण की घोषणा की है, जिसे 90 दिनों में पूरा किया जाएगा। यह सर्वेक्षण राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के तहत किया जाएगा और इसका उद्देश्य सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करना है। बैठक में जातियों की पुनः गणना पर भी चर्चा हुई, जिसमें प्रमुख नेताओं ने इस मुद्दे पर विचार किया। जानें इस सर्वेक्षण की प्रक्रिया और इसके महत्व के बारे में।
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कर्नाटक में नया सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण, 90 दिनों में पूरा होगा

कर्नाटक में विशेष कैबिनेट बैठक का निर्णय

गुरुवार को बेंगलुरु में आयोजित एक विशेष कैबिनेट बैठक में, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के निर्देशानुसार, राज्य में एक नया सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण कराने का निर्णय लिया गया। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बताया कि यह सर्वेक्षण 90 दिनों के भीतर पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के कानून के अनुसार, इस प्रकार के सर्वेक्षण के परिणाम केवल 10 वर्षों के लिए मान्य होते हैं।


 


केंद्र की जाति जनगणना से भिन्नता


सीएम ने स्पष्ट किया कि कर्नाटक का यह सर्वेक्षण केंद्र द्वारा की जाने वाली जाति जनगणना से अलग होगा। उन्होंने कहा कि केंद्र ने सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण करने का कोई संकेत नहीं दिया है। कांग्रेस सरकार अपने चुनावी वादों के अनुसार सामाजिक न्याय प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार कर्नाटक राज्य स्थायी पिछड़ा वर्ग आयोग, जिसकी अध्यक्षता पूर्व महाधिवक्ता मधुसूदन नाइक कर रहे हैं, से 90 दिनों में सर्वेक्षण रिपोर्ट की मांग करेगी। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि तेलंगाना ने यह कार्य 70 दिनों में पूरा किया था।


 


जातियों की गणना पर चर्चा


गुरुवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सिद्धारमैया से जातियों की पुनः गणना करने का अनुरोध किया। यह कर्नाटक के प्रमुख समुदायों की शिकायतों का उत्तर था कि सर्वेक्षण के लिए एकत्रित डेटा में जातियों की गणना को फिर से किया गया है। इससे पहले, सिद्धारमैया ने कहा था कि जाति जनगणना के आंकड़ों को फिर से दर्ज करने का निर्णय पार्टी हाईकमान द्वारा लिया गया है, और यह राज्य सरकार का निर्णय नहीं है। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि जाति जनगणना को लेकर कुछ शिकायतें प्राप्त हुई हैं।