कर्नाटक में जाति सर्वेक्षण पर भाजपा का कांग्रेस पर आरोप

कर्नाटक में जाति सर्वेक्षण का विवाद

सीएम सिद्धारमैया और बी वाई विजयेंद्र.
कर्नाटक में जाति सर्वेक्षण को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने सत्ताधारी कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि वह हिंदुओं के बीच विभाजन की योजना बना रही है। भाजपा ने इस सर्वेक्षण की वैधता पर सवाल उठाया है।
भाजपा ने राज्य के नागरिकों से अपील की है कि वे जाति या वर्ग से ऊपर उठकर अपने धर्म को हिंदू के रूप में दर्शाएं। यह सर्वेक्षण 22 सितंबर से शुरू होकर 7 अक्टूबर तक चलेगा, जिसमें लगभग 420 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
भाजपा ने जाति सर्वेक्षण की आवश्यकता पर भी सवाल उठाया है, यह कहते हुए कि केंद्र सरकार पहले ही राष्ट्रीय जनगणना में जाति की गणना करने की योजना बना चुकी है। ऐसे में राज्य में अलग से जाति सर्वेक्षण कराने की आवश्यकता क्या है?
भाजपा नेता विजयेंद्र का बयान
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने सभी जातियों और वर्गों के लोगों से अपील की कि वे सिद्धारमैया की कांग्रेस सरकार की योजनाओं का शिकार न बनें।
शिवमोग्गा में संवाददाताओं से बात करते हुए विजयेंद्र ने कहा, “राज्य सरकार को जाति जनगणना करने का कोई अधिकार नहीं है। मैं सभी से अनुरोध करता हूं कि सर्वेक्षण के दौरान धर्म के कॉलम में हम सभी को हिंदू के रूप में उल्लेख करना चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा, “आप अपनी जाति और उपजाति अपने समुदाय के अनुसार लिख सकते हैं, लेकिन देश की एकता और अखंडता के लिए हमें हिंदू धर्म को बताना चाहिए। यह हमारी जिम्मेदारी है।”
हिंदुओं के विभाजन का आरोप
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने हुबली में कहा कि कांग्रेस “सोनिया गांधी और उनके परिवार के निर्देशों पर हिंदू समाज को विभाजित करने की साजिश कर रही है।” उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस हिंदू समाज को तोड़ने और देश को कमजोर करने की योजना बना रही है।
विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि सिद्धारमैया की सरकार इस सर्वेक्षण का उपयोग हिंदुओं के बीच विभाजन के लिए कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि जाति सूची में शामिल कुछ जातियां, जैसे ‘कुरुबा ईसाई’ और ‘ब्राह्मण ईसाई’, कांग्रेस के भीतर सत्ता संघर्ष को देखते हुए तैयार की गई हैं।