कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने मुख्यमंत्री पद की दौड़ में अपनी स्थिति स्पष्ट की

कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने मुख्यमंत्री पद की दौड़ में अपनी स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा कि वह हमेशा से इस पद के लिए प्रतिस्पर्धा में रहे हैं। उन्होंने दलित समुदाय की मांगों पर भी चर्चा की और 2013 में कांग्रेस की जीत का जिक्र किया। उनकी टिप्पणियों ने राजनीतिक हलकों में चर्चा को जन्म दिया है। जानें पूरी कहानी में क्या कहा उन्होंने और दलित नेताओं की बैठक के बारे में क्या जानकारी दी।
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कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने मुख्यमंत्री पद की दौड़ में अपनी स्थिति स्पष्ट की

परमेश्वर की मुख्यमंत्री पद की दावेदारी

कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने स्पष्ट किया है कि वह मुख्यमंत्री पद की दौड़ में बने हुए हैं। उन्होंने उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार पर भी टिप्पणी की। पत्रकारों से बातचीत करते हुए, परमेश्वर ने कहा कि वह हमेशा से इस पद के लिए प्रतिस्पर्धा में रहे हैं, और यह कोई नई या विवादास्पद बात नहीं है। 2013 में कांग्रेस की जीत का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि जब वह कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष थे, तब उन्होंने पार्टी को सत्ता में लाने में योगदान दिया था। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने कभी यह दावा नहीं किया कि वह अकेले इसके लिए जिम्मेदार थे।


दलित समुदाय की मांगों पर चर्चा

जब कर्नाटक के लोक निर्माण विभाग के मंत्री सतीश जारकीहोली और दलित समुदाय के कांग्रेस नेताओं की लगातार बैठकों के बारे में पूछा गया, तो परमेश्वर ने कहा कि दलित लंबे समय से मुख्यमंत्री पद की मांग कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि क्या केवल मुलाकातों से यह संभव होगा। यह टिप्पणी जारकीहोली द्वारा दलित नेताओं के लिए आयोजित रात्रिभोज के संदर्भ में आई।


परमेश्वर ने बताया कि उन्होंने सतीश जारकीहोली के घर पर एक साथ भोजन किया और राजनीति पर चर्चा की। मंत्री होने के नाते, उन्होंने विभागों में आवश्यक कार्यों पर भी बात की। उन्होंने कहा कि दलित नेताओं ने अनुसूचित जातियों के आंतरिक आरक्षण जैसे मुद्दों पर चर्चा के लिए बैठक की है। उन्होंने कहा, "हम सभी एकमत हैं। आंतरिक आरक्षण पर हमारी लड़ाई समाप्त हो गई है। क्या हमें अपनी समस्याओं पर चर्चा नहीं करनी चाहिए?"


2013 में कांग्रेस की जीत का जिक्र

परमेश्वर ने दोहराया कि वह हमेशा से मुख्यमंत्री पद की दौड़ में रहे हैं। 2013 में, जब वह कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे, तब कांग्रेस को सत्ता में लाने में उन्होंने योगदान दिया। उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी यह नहीं कहा कि वह अकेले सरकार को सत्ता में लाए। सभी ने मिलकर काम किया और लोगों ने वोट देकर पार्टी को जीत दिलाई। उन्होंने यह भी कहा कि वह उस समय हार गए थे और यह नहीं जानते कि अगर वह जीतते तो क्या होता।