कर्नाटक उच्च न्यायालय ने रूसी महिला के बच्चों के निर्वासन पर रोक लगाई

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक रूसी महिला के बच्चों के निर्वासन पर अस्थायी रोक लगा दी है। अदालत ने बच्चों के सर्वोत्तम हितों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि निर्वासन प्रक्रिया में बच्चों के कल्याण की अनदेखी की गई। भारत सरकार ने बताया कि बच्चों के पास कोई वैध दस्तावेज नहीं हैं। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और अदालत के निर्णय के पीछे के कारण।
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कर्नाटक उच्च न्यायालय ने रूसी महिला के बच्चों के निर्वासन पर रोक लगाई

कर्नाटक उच्च न्यायालय का महत्वपूर्ण निर्णय

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक रूसी महिला के बच्चों के निर्वासन को अस्थायी रूप से रोकने का निर्णय लिया है। अदालत ने संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार सम्मेलन (यूएनसीआरसी) के तहत बच्चों के सर्वोत्तम हितों को ध्यान में रखने की आवश्यकता पर जोर दिया।


यह निर्णय न्यायमूर्ति एस सुनील दत्त यादव द्वारा एक रिट याचिका की सुनवाई के दौरान लिया गया, जिसमें बच्चों के खिलाफ जारी अचानक निर्वासन आदेश को चुनौती दी गई थी।


याचिकाकर्ता ने यह तर्क दिया कि निर्वासन प्रक्रिया में बच्चों के कल्याण की अनदेखी की गई और यूएनसीआरसी के सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ। इस मामले में याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता बीना पिल्लई ने किया।


भारत सरकार की ओर से सहायक सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ने अदालत को बताया कि बच्चों के पास वर्तमान में कोई वैध यात्रा या पहचान दस्तावेज नहीं हैं।


इस आधार पर, अदालत ने कहा कि इस समय बच्चों का तत्काल निर्वासन उचित नहीं है। नीना कुटीना (40) को उनकी दो बेटियों प्रिया (6) और अमा (4) के साथ 11 जुलाई को उत्तर कन्नड़ जिले के गोकर्ण में रामतीर्थ गुफा से पुलिस ने बचाया था। कुटीना वीजा की अवधि समाप्त होने के बावजूद भारत में रह रही थीं।