करवा चौथ 2025: चांद के दीदार का समय और पूजा विधि
करवा चौथ का महत्व
करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है, जो हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। आज, 10 अक्टूबर को, देशभर की महिलाओं ने अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए इस व्रत का पालन किया। इस व्रत का समापन चंद्रमा के दर्शन के बाद ही होता है, और अक्सर चंद्रमा के निकलने का समय देर से होता है, जिससे सभी की नजरें आसमान पर होती हैं। अंततः, महिलाओं ने चंद्रमा के दर्शन कर अपना व्रत पूरा किया।
करवा चौथ पर चांद का समय
करवा चौथ पर महिलाएं निर्जला व्रत रखकर करवा माता की पूजा करती हैं और कथा सुनती हैं। रात को चांद के निकलने का इंतजार रहता है। चंद्रमा के दर्शन का समय रात 8:14 बजे निर्धारित किया गया था। कोलकाता में सबसे पहले चांद का दीदार शाम 7:30 बजे हुआ।
आपके शहर में चंद्रोदय का समय
दिल्ली – रात 20:13
नोएडा – रात 08:13
गुरुग्राम – रात 08:14
गाजियाबाद – रात 08:11
चंडीगढ़ – रात 08:08
लुधियाना – रात 08:11
अमृतसर – रात 08:14
शिमला – रात 08:06
भोपाल – रात 08:26
इंदौर – रात 08:33
ग्वालियर – रात 08:15
उज्जैन – रात 08:33
चांद न दिखे तो क्या करें?
यदि करवा चौथ पर चांद दिखाई नहीं देता है, तो आप भगवान शिव के मस्तक पर विराजमान चंद्रमा को देखकर अपना व्रत खोल सकती हैं। यदि आपके पास ऐसी कोई तस्वीर या मूर्ति नहीं है, तो आप शिव मंदिर जाकर चंद्रोदय के समय चंद्रमा के दर्शन कर अपना व्रत खोल सकती हैं।
चंद्रमा को अर्घ्य देते समय क्या बोलें?
चांद निकलने के बाद, उसे छलनी से देखें। फिर जल में दूध और चावल मिलाकर उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर मुख करके 'ॐ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नम:' मंत्र का जाप करते हुए अर्घ्य दें। इसके बाद चावल और एक सफेद फूल अर्पित करें, और फिर पति को छलनी से देखकर उनके हाथ से जल पीकर व्रत खोलें।
करवा चौथ की कथा
करवा चौथ की कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से एक करवा नाम की पतिव्रता स्त्री की कहानी है। करवा के पति को एक मगरमच्छ ने पकड़ लिया था, और करवा ने अपनी तपस्या से उसे यमराज के पास ले जाकर दंड दिलवाया। यमराज ने करवा के पति को दीर्घायु का वरदान दिया।