कफ सिरप से मौतों की जांच में तेजी, सीडीएसओ ने उठाए सख्त कदम

कफ सिरप से हो रही मौतों के मामलों में सीडीएसओ ने सख्त कदम उठाए हैं। मध्य प्रदेश में जांच के दौरान कई सैंपल एकत्र किए गए हैं, जिनमें से कुछ में DEG की मात्रा पाई गई है। केंद्र और राज्य सरकारों के बीच जिम्मेदारी का बंटवारा भी स्पष्ट किया गया है। जानें इस मामले में क्या कार्रवाई की गई है और आगे की योजना क्या है।
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कफ सिरप से मौतों की जांच में तेजी, सीडीएसओ ने उठाए सख्त कदम

कफ सिरप से मौतों का सिलसिला जारी

देश में कफ सिरप के कारण हो रही मौतों की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, खासकर मध्य प्रदेश में। इस स्थिति के बीच, केंद्रीय एजेंसियों ने राज्यों पर जिम्मेदारी डालते हुए उन्हें कठघरे में खड़ा कर दिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएसओ) ने सभी राज्यों से यह जानकारी मांगी है कि उनके क्षेत्र में कितनी फार्मा कंपनियां कफ सिरप का उत्पादन कर रही हैं और उनके संचालन की प्रक्रिया क्या है। सीडीएसओ ने स्पष्ट किया है कि अब किसी भी प्रकार की ढिलाई नहीं बरती जाएगी और सभी डेटा साझा करने के लिए कहा गया है। इसके अलावा, दवाओं की निर्माण प्रक्रिया की जांच के लिए अगले महीने एक विशेष अभियान चलाया जाएगा।


जांच की प्रक्रिया

सीडीएसओ ने बच्चों की मौत के मामलों की जांच को तीन हिस्सों में बांट दिया है, जिसमें मध्य प्रदेश, राजस्थान और तमिलनाडु शामिल हैं। सीडीएसओ का कहना है कि मध्य प्रदेश और राजस्थान में बच्चों की मौत के मामले अलग हैं।


मध्य प्रदेश में जांच के परिणाम

मध्य प्रदेश में सीडीएसओ की टीम ने कई अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर 19 सैंपल एकत्र किए। इनमें से 13 सैंपल राज्य FDA द्वारा और 6 सैंपल CDSCO ने रैंडम रूप से लिए। CDSCO ने अपने 6 सैंपल की जांच की, जिसमें सभी DEG/EG से मुक्त पाए गए। मध्य प्रदेश के 13 सैंपल में से पहले 3 की रिपोर्ट भी साफ आई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अब तक 9 सैंपल DEG/EG से मुक्त हैं।


DEG पॉज़िटिव सैंपल की पहचान

तमिलनाडु के खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन विभाग (TN FDA) ने Coldrif का टेस्ट रिज़ल्ट जारी किया, जिसमें 48.6% DEG पाया गया। इसी बैच का परीक्षण मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में भी किया गया, जहां 46% DEG मिला। बाद में मध्य प्रदेश ने अन्य सैंपल के नतीजे जारी किए, जिसमें 19 में से 3 सैंपल फेल हुए।


जांच का दायरा बढ़ता गया

मध्य प्रदेश की FDA ने TN FDA को श्री सन कंपनी के कांचीपुरम यूनिट से बैच लेकर जांच करने का निर्देश दिया। TN FDA की रिपोर्ट में फिर से 48% DEG पाया गया, जबकि मध्य प्रदेश FDA की रिपोर्ट में 46% DEG मिला।


कंपनी की जानकारी का अभाव

जिस कंपनी पर जहरीली कफ सिरप बनाने का आरोप है, उसके बारे में सीडीएसओ को जानकारी नहीं थी। यह कंपनी 2011 में स्थापित हुई थी और 2016 में इसका लाइसेंस नवीनीकरण हुआ। जब इस कंपनी को लाइसेंस मिला, तब इसकी जानकारी राज्य FDA को दी गई, लेकिन सीडीएसओ को कोई सूचना नहीं दी गई।


अनियमितताओं का खुलासा

सीडीएसओ के अनुसार, इस कंपनी की जांच में कई नियमों का उल्लंघन पाया गया है। इस प्लांट में 364 नियमों का उल्लंघन हुआ है, जिसमें से 38 गंभीर श्रेणी में आते हैं। इसके बावजूद, लाइसेंस का नवीनीकरण किया गया।


केंद्र सरकार की स्थिति

केंद्र और राज्य की भूमिकाएं इस मामले में अलग हैं। केंद्र सरकार का कहना है कि वह सीधे कार्रवाई नहीं कर सकती क्योंकि देश में संघीय ढांचा है। सीडीएसओ ने यह भी बताया कि उसे मध्य प्रदेश से जांच की जानकारी देर से मिली।


राजस्थान की स्थिति

सीडीएसओ का कहना है कि राजस्थान में बच्चों की मौत का मामला मध्य प्रदेश से अलग है। वहां किसी भी सैंपल में Diethylene glycol (DEG) नहीं मिला।


कंपनियों की अनियमितताएं

सीडीएसओ के अनुसार, कई कंपनियां नियमों का लाभ उठा रही हैं। उदाहरण के लिए, एक कंपनी पुराने Schedule M के तहत चल रही थी, जिससे जांच प्रक्रिया प्रभावित हुई।


गुनहगार की पहचान

सीडीएसओ ने सप्लायर की पहचान कर ली है, जो प्रोपलीन ग्लाइकोल मनाली से खरीदा गया था।


नई कार्य योजना

सीडीएसओ ने कहा है कि कफ सिरप में DEG की जांच और निगरानी को मजबूत करने के लिए नई व्यवस्था बनाई जा रही है। केंद्र और राज्य मिलकर ऑडिट करेंगे।


एक्शन की जानकारी

अब तक की जानकारी के अनुसार, श्री सन कंपनी का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है, जिसका मतलब है कि इस प्लांट में अब कोई दवा का निर्माण नहीं होगा।