कफ सिरप के उपयोग पर केंद्र का सख्त रुख, स्वास्थ्य सचिव ने दी चेतावनी

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिल श्रीवास्तव ने कफ सिरप के उपयोग को लेकर एक उच्च स्तरीय बैठक की, जिसमें दवा निर्माताओं को गुणवत्ता मानकों का पालन करने की चेतावनी दी गई। उन्होंने बच्चों में खांसी के सामान्य कारणों के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। यह कदम हाल के वर्षों में कफ सिरप से जुड़ी गंभीर घटनाओं के मद्देनजर उठाया गया है। जानें इस बैठक के प्रमुख बिंदुओं और स्वास्थ्य मंत्रालय की नई पहल के बारे में।
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कफ सिरप के उपयोग पर केंद्र का सख्त रुख, स्वास्थ्य सचिव ने दी चेतावनी

कफ सिरप के मुद्दे पर केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव की बैठक

कफ सिरप के उपयोग पर केंद्र का सख्त रुख, स्वास्थ्य सचिव ने दी चेतावनी

कफ सिरप के उपयोग को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने की उच्च स्तरीय बैठक

बच्चों में कफ सिरप के उपयोग को लेकर बढ़ती चिंताओं के मद्देनजर, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिल श्रीवास्तव ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की। इस बैठक में उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि सभी दवा निर्माता कंपनियों को संशोधित Schedule M के तहत निर्धारित गुणवत्ता मानकों का पालन करना अनिवार्य है। यदि कंपनियां ऐसा नहीं करती हैं, तो उनके लाइसेंस रद्द कर दिए जाएंगे।

श्रीवास्तव ने बताया कि बच्चों में खांसी आमतौर पर हल्की होती है और यह अपने आप ठीक हो जाती है, इसलिए कफ सिरप का उपयोग सोच-समझकर करना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि बिना जरूरत दवाएं देना बच्चों की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इसके साथ ही, उन्होंने राज्यों से अपील की कि वे जन जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को बच्चों में खांसी के सामान्य कारणों और उपचार के बारे में जानकारी दें, ताकि अनावश्यक दवाओं के उपयोग को रोका जा सके।

संदिग्ध मामलों में त्वरित कार्रवाई

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने बैठक में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देशित किया कि वे दवाओं की गुणवत्ता की निगरानी को बढ़ाएं। अस्पतालों से समय पर रिपोर्ट प्राप्त करें और IDSP-IHIP प्लेटफॉर्म पर शिकायतें दर्ज करें। इसके अलावा, उन्होंने पड़ोसी राज्यों के साथ समन्वय को मजबूत करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया, ताकि संदिग्ध मामलों में त्वरित कार्रवाई की जा सके।

क्यों उठाया गया यह कदम

स्वास्थ्य मंत्रालय का यह निर्णय हाल के वर्षों में मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप से संबंधित गंभीर घटनाओं के प्रकाश में आया है। मंत्रालय का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भारत में निर्मित दवाओं की गुणवत्ता पर कोई संदेह न हो और बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि रहे।