कप्तान गिल की दोस्ती ने उठाए सवाल, क्या चयन में योग्यता से ज्यादा है रिश्तों का महत्व?

कप्तान गिल की चयन नीति पर सवाल

कप्तान गिल : भारतीय क्रिकेट में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, लेकिन जब चयन का आधार योग्यता की बजाय व्यक्तिगत रिश्ते बन जाए, तो सवाल उठना लाजमी होता है। हाल ही में एक खिलाड़ी को लेकर कुछ ऐसा ही मामला टीम इंडिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। इंग्लैंड के खिलाफ पांच टेस्ट मैचों की सीरीज़ में हर मुकाबला महत्वपूर्ण है, लेकिन कप्तान शुभमन गिल पर आरोप है कि उन्होंने अपनी दोस्ती निभाने के चक्कर में एक ऐसे खिलाड़ी को मौका दिया है, जिसका हालिया प्रदर्शन सवालों के घेरे में है।
साई सुदर्शन की स्थिति
साई सुदर्शन दोस्ती का फायदा उठा रहे हैं
साई सुदर्शन को लीड्स टेस्ट में डेब्यू करने का मौका मिला था, लेकिन वहां उन्होंने कोई खास प्रदर्शन नहीं किया। पहली पारी में वह शून्य पर आउट हुए और दूसरी पारी में केवल 30 रन बनाए। हालांकि उन्होंने कुछ अच्छे शॉट खेले, लेकिन क्रीज़ पर टिकने और परिस्थितियों के अनुसार बल्लेबाज़ी करने में उनकी कमी नजर आई। इंग्लैंड की परिस्थितियों में जहां तकनीक और अनुशासन की आवश्यकता होती है, वहां साई अनुभवहीन दिखे।
प्रशिक्षण सत्र में असहमति
इससे भी ज्यादा हैरानी तब हुई जब मैनचेस्टर टेस्ट से पहले प्रैक्टिस सेशन में कप्तान गिल ने साई सुदर्शन से नेट्स में बैटिंग करने को कहा, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। रिपोर्ट्स के अनुसार, साई ने कहा कि वह कभी मैच से एक दिन पहले बल्लेबाजी नहीं करते। यह उनकी ‘रूटीन’ का हिस्सा है। भले ही IPL 2025 में उन्होंने 759 रन बनाकर अच्छा प्रदर्शन किया हो, लेकिन टेस्ट क्रिकेट IPL नहीं है, जहां दिनभर गेंदबाज़ आपकी तकनीक की परीक्षा लेते हैं।
गिल का समर्थन
साई के ऊपर गिल का हाथ
बड़ा सवाल यह है कि क्या इंडियन टेस्ट टीम अब ‘रूटीन’ और ‘थिंकिंग’ बेस्ड नहीं बल्कि दोस्ती के आधार पर चलने लगी है? क्या ऐसे खिलाड़ी को मौका मिलना चाहिए जो प्रैक्टिस से भी कतराता है? यह चयन समिति के लिए एक गंभीर विचार का विषय होना चाहिए। लेकिन इन सवालों के बीच कप्तान गिल ने मैनचेस्टर टेस्ट में फिर से साई को मौका देने का दबाव बनाया, जिससे यह माना जा रहा है कि गिल अपने करीबी दोस्त को टीम में बनाए रखने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं।
साई का रिकॉर्ड
साई सुदर्शन का फर्स्ट क्लास रिकॉर्ड भी खास नहीं
साई सुदर्शन का फर्स्ट क्लास रिकॉर्ड भी कुछ खास नहीं है। 30 मैचों में उन्होंने केवल 1987 रन बनाए हैं, वो भी 38.96 की औसत से। टेस्ट क्रिकेट के लिहाज से यह आंकड़े एक औसत बल्लेबाज़ को दिखाते हैं, न कि ऐसे खिलाड़ी को जिसे इंग्लैंड जैसी टीम के खिलाफ प्लेइंग इलेवन में रखा जाए। दूसरी ओर, भारतीय टीम के पास अभिमन्यु ईश्वरन, रुतुराज गायकवाड़ जैसे बल्लेबाज़ विकल्प के तौर पर मौजूद हैं, जिनका फर्स्ट क्लास अनुभव और प्रदर्शन कहीं बेहतर है।
निष्कर्ष
इसके बावजूद गिल ने एक कमज़ोर प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी को प्राथमिकता देकर यह संकेत दे दिया है कि टीम चयन में पारदर्शिता नहीं, बल्कि करीबी रिश्ते अहम हो गए हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या साई सुदर्शन मैनचेस्टर टेस्ट में अपने प्रदर्शन से आलोचकों को गलत साबित कर पाएंगे या फिर कप्तान की दोस्ती का यह फैसला टीम को भारी पड़ेगा।