कनाडा में जी-7 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी की अनुपस्थिति पर कांग्रेस का तंज

प्रधानमंत्री मोदी की अनुपस्थिति पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कनाडा में होने वाले जी-7 शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होने की संभावना जताई जा रही है। इस विषय पर जानकारी रखने वाले सूत्रों ने सोमवार को यह बताया। कांग्रेस ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि मोदी का सम्मेलन में न जाना भारत-पाकिस्तान के बीच अमेरिका को मध्यस्थता करने की अनुमति देने के बाद एक और कूटनीतिक असफलता है।
जी-7 शिखर सम्मेलन की जानकारी
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने 'एक्स' पर साझा किया कि जी-7 शिखर सम्मेलन 15 से 17 जून 2025 तक कनाडा के अल्बर्टा प्रांत के कानानास्किस में आयोजित होगा। इस सम्मेलन में अमेरिका और फ्रांस के राष्ट्रपतियों, ब्रिटेन, जापान, इटली और कनाडा के प्रधानमंत्रियों के साथ-साथ जर्मनी के चांसलर की भी भागीदारी होगी। इसके अलावा, ब्राजील, मैक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और यूक्रेन के राष्ट्रपतियों तथा ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री को भी आमंत्रित किया गया है।
भारत की कूटनीतिक स्थिति
रमेश ने यह भी बताया कि 2014 से पहले जी-7 वास्तव में जी-8 था, जिसमें रूस भी शामिल था। उस समय डॉ. मनमोहन सिंह को जी-8 शिखर सम्मेलनों में आमंत्रित किया जाता था और उनकी बातों को गंभीरता से सुना जाता था। जून 2007 में जर्मनी में हुए सम्मेलन में सिंह-मर्केल फॉर्मूला पेश किया गया था, जिसे जलवायु परिवर्तन पर अंतरराष्ट्रीय बातचीत की दिशा तय करने वाला माना गया। हालांकि, इस बार, छह वर्षों में पहली बार, भारत का प्रधानमंत्री इस सम्मेलन में उपस्थित नहीं होगा।
कूटनीतिक चूक पर कांग्रेस की टिप्पणी
रमेश ने कहा कि चाहे इस पर कितनी भी 'स्पिन' दी जाए, सच्चाई यह है कि यह एक और बड़ी कूटनीतिक चूक है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार ने अमेरिका को भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता का अवसर देकर अपनी दशकों पुरानी विदेश नीति को पलट दिया है। कनाडा में जी-7 शिखर सम्मेलन में रूस-यूक्रेन संघर्ष और पश्चिम एशिया की स्थिति जैसे वैश्विक मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है।