ओवैसी ने राकेश किशोर मामले पर मोदी सरकार को घेरा

हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने वकील राकेश किशोर द्वारा मुख्य न्यायाधीश पर हमले के प्रयास को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। ओवैसी ने धर्म के आधार पर भेदभाव का संकेत देते हुए सवाल उठाया कि यदि किशोर का नाम असद होता, तो पुलिस की प्रतिक्रिया क्या होती। उन्होंने किशोर की बेशर्मी की तुलना बरेली में मुसलमानों पर पुलिस की कार्रवाई से की। ओवैसी ने न्यायपालिका की भूमिका पर भी सवाल उठाए। जानें इस विवाद की पूरी कहानी।
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ओवैसी ने राकेश किशोर मामले पर मोदी सरकार को घेरा

ओवैसी का मोदी सरकार पर हमला

हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने वकील राकेश किशोर द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर हमले के प्रयास को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर तीखा हमला किया। ओवैसी ने किशोर के खिलाफ कार्रवाई न करने पर सवाल उठाते हुए धर्म के आधार पर भेदभाव का आरोप लगाया। उन्होंने अपनी पार्टी एआईएमआईएम के माध्यम से एक्स पर साझा किए गए भाषण में कहा कि यदि राकेश किशोर का नाम असद होता, तो पुलिस की प्रतिक्रिया क्या होती? बीजेपी के लोग तुरंत कहते, 'उसे पकड़ लो!', यह कहकर कि वह पड़ोसी देश से आया है।


राकेश किशोर की बेशर्मी पर ओवैसी की टिप्पणी

ओवैसी ने राकेश किशोर की 'बेशर्मी' की तुलना हाल ही में उत्तर प्रदेश के बरेली में 'आई लव मुहम्मद' बैनर हटाने के विरोध में मुसलमानों पर पुलिस की कार्रवाई से की। किशोर ने मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ अपनी शिकायतों में बरेली का भी उल्लेख किया और कहा कि न्यायाधीश और सर्वोच्च न्यायालय को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बुलडोजर न्याय के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए थी। ओवैसी ने उपस्थित लोगों को याद दिलाया कि किशोर ने नारा दिया था, 'सनातन का अपमान, नहीं सहेगा हिंदुस्तान।'


मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणी पर विवाद

किशोर ने मीडिया चैनलों को बताया कि हिंदू देवता भगवान विष्णु की एक मूर्ति से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश की हालिया टिप्पणी ने उन्हें ठेस पहुँचाई है। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि उनकी मौखिक टिप्पणी का कोई अपमानजनक अर्थ नहीं था।