ओडिशा में कॉलेज छात्रा की आत्मदाह की जांच में विसंगतियां सामने आईं

ओडिशा के बालासोर में एक कॉलेज छात्रा की आत्मदाह की घटना ने गंभीर सवाल उठाए हैं। पुलिस की अपराध शाखा ने बताया कि छात्रा ने खुद को आग लगा दी क्योंकि उसकी यौन उत्पीड़न की शिकायत को कॉलेज की आंतरिक जांच समिति ने 'सत्य' नहीं माना। जांच में गवाहों के बयानों में विसंगतियां पाई गई हैं। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
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ओडिशा में कॉलेज छात्रा की आत्मदाह की जांच में विसंगतियां सामने आईं

कॉलेज छात्रा की आत्मदाह की घटना की जांच

ओडिशा पुलिस की अपराध शाखा ने बालासोर में एक कॉलेज छात्रा की आत्मदाह से संबंधित मामले की जांच करते हुए बताया कि युवती ने खुद को आग लगा दी थी। यह कदम उसने इसलिए उठाया क्योंकि कॉलेज की आंतरिक जांच समिति ने उसकी यौन उत्पीड़न की शिकायत को 'सत्य' नहीं माना था।


इस मामले पर संवाददाता सम्मेलन में बोलते हुए, अपराध शाखा के महानिदेशक विनयतोष मिश्रा ने कहा कि उनके अधिकारियों को गवाहों के बयानों में कई विसंगतियां मिली हैं।


मिश्रा ने आगे कहा, 'कॉलेज प्रशासन ने छात्रा की शिकायत पर कार्रवाई की थी और एक आंतरिक जांच भी की गई थी। लेकिन आंतरिक जांच समिति ने उसकी शिकायत को मान्य नहीं किया। छात्रा ने अपनी शिकायत को नजरअंदाज किए जाने के जवाब में यह कदम उठाया।'


महिला एवं बाल अपराध इकाई (सीएडब्ल्यू एंड सीडब्ल्यू) फकीर मोहन (स्वायत्त) महाविद्यालय की छात्रा की मौत की जांच कर रही है। 20 वर्षीय छात्रा ने कथित तौर पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ कोई कार्रवाई न होने के कारण आत्मदाह किया। लगभग 60 घंटे तक जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करने के बाद, छात्रा की सोमवार रात एम्स-भुवनेश्वर में मृत्यु हो गई।


बालासोर जिला पुलिस से जांच का कार्यभार संभालने वाली अपराध शाखा ने 17 जुलाई को मामले की जांच शुरू की। मिश्रा ने कहा, 'हमें (कॉलेज की) आंतरिक शिकायत समिति और पुलिस को दिए गए गवाहों के बयानों और सोशल मीडिया पर उनके पोस्ट में विसंगतियां मिली हैं।'


उन्होंने कहा कि गवाहों ने घटना से पहले और बाद में अलग-अलग राय दी हैं। हर बयान का गहन विश्लेषण आवश्यक है और इसमें समय लगेगा। निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए डिजिटल साक्ष्यों का उचित विश्लेषण करना जरूरी है।