एयर इंडिया विमान दुर्घटना: ब्लैक बॉक्स की भूमिका और जांच प्रक्रिया

हाल ही में एयर इंडिया के एक विमान की दुर्घटना के बाद, ब्लैक बॉक्स की भूमिका और इसकी जांच प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित किया गया है। जानें कि कैसे ये उपकरण उड़ान के दौरान महत्वपूर्ण डेटा रिकॉर्ड करते हैं और दुर्घटनाओं की जांच में मदद करते हैं। एएआईबी द्वारा स्थापित प्रयोगशाला और इसके कार्यों के बारे में भी जानकारी प्राप्त करें।
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एयर इंडिया विमान दुर्घटना: ब्लैक बॉक्स की भूमिका और जांच प्रक्रिया

विमान दुर्घटनाओं में ब्लैक बॉक्स का महत्व

देश में प्रतिदिन कई वाणिज्यिक उड़ानें संचालित होती हैं। ये उड़ानें आसमान में उड़ान भरती हैं। इन विमानों में कॉकपिट के पास कुछ मजबूत नारंगी रंग के बॉक्स रखे जाते हैं, जिन्हें ब्लैक बॉक्स कहा जाता है।


 


इन बॉक्स की विशेषता यह है कि ये उड़ान के दौरान बिना किसी रुकावट के डेटा रिकॉर्ड करते हैं। हाल ही में एयर इंडिया के विमान से जुड़ी एक दुर्घटना की जानकारी महत्वपूर्ण है, जो ब्लैक बॉक्स से प्राप्त की जा सकती है। आधुनिक विमानों में कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर (सीवीआर) और डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (डीएफडीआर) जैसे महत्वपूर्ण उपकरण होते हैं, जो उड़ान के दौरान महत्वपूर्ण डेटा और संवाद को रिकॉर्ड करते हैं। इन्हें ब्लैक बॉक्स कहा जाता है। इन रिकॉर्डर्स को उच्च दृश्यता के लिए चमकीले नारंगी रंग में रंगा जाता है, ताकि दुर्घटना की स्थिति में इन्हें आसानी से खोजा जा सके। कुछ विमानों में ये दोनों रिकॉर्डर एक ही इकाई में होते हैं।


 


विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो की पहल


यह ध्यान देने योग्य है कि अप्रैल 2025 में एएआईबी ने दुर्घटनाओं की जांच को अधिक प्रभावी बनाने के लिए दिल्ली में एक फ्लाइट रिकॉर्डर प्रयोगशाला की स्थापना की है। डीएफडीआर को चमकीले नारंगी रंग में बनाया जाता है ताकि यह दूर से भी दिखाई दे सके। यह रिफ्लेक्स सामग्री से निर्मित होता है और पानी के नीचे भी सक्रिय रहता है। इसके लिए इसे सिग्नलाइजेशन के साथ सुरक्षित रूप से जोड़ा जाता है।


एएआईबी विमान दुर्घटनाओं की जांच करता है और सुरक्षा में सुधार के उपायों का सुझाव भी देता है। हाल ही में, एयर इंडिया के बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान की दुर्घटना के बाद, जो अहमदाबाद से लंदन गैटविक के लिए उड़ान भर रहा था, एएआईबी इसकी जांच कर रहा है।