एयर इंडिया विमान दुर्घटना: ब्लैक बॉक्स की बरामदगी और जांच की प्रगति

एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 के ब्लैक बॉक्स की बरामदगी के बाद, जांच दल ने डेटा विश्लेषण प्रक्रिया शुरू कर दी है। 13 जून को हुई दुर्घटना के बाद, AAIB ने एक बहु-विषयक टीम का गठन किया है, जिसमें विमानन विशेषज्ञ और NTSB के प्रतिनिधि शामिल हैं। जानें इस जांच की वर्तमान स्थिति और भविष्य की विमानन सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
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एयर इंडिया विमान दुर्घटना: ब्लैक बॉक्स की बरामदगी और जांच की प्रगति

ब्लैक बॉक्स की बरामदगी

नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने गुरुवार को जानकारी दी कि एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 के ब्लैक बॉक्स को सफलतापूर्वक बरामद कर लिया गया है। वर्तमान में इनका विश्लेषण दिल्ली में विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) की प्रयोगशाला में किया जा रहा है। 13 जून को हुई दुर्घटना के बाद, AAIB ने अपने महानिदेशक के नेतृत्व में एक बहु-विषयक जांच दल का गठन किया, जो अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप कार्य कर रहा है। इस दल में विमानन चिकित्सा विशेषज्ञ, एयर ट्रैफिक कंट्रोल अधिकारी और अमेरिका के राष्ट्रीय परिवहन सुरक्षा बोर्ड (NTSB) के प्रतिनिधि शामिल हैं।


ब्लैक बॉक्स की बरामदगी की प्रक्रिया

दो चरणों में ब्लैक बॉक्स बरामद किए गए
कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (सीवीआर) और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (एफडीआर) दोनों को दुर्घटना स्थल से प्राप्त किया गया। पहला रिकॉर्डर 13 जून को छत पर मिला, जबकि दूसरा 16 जून को मलबे से निकाला गया। इन उपकरणों को अहमदाबाद में पुलिस सुरक्षा और सीसीटीवी निगरानी में रखा गया। 24 जून को, दोनों रिकॉर्डर भारतीय वायु सेना के विमान द्वारा दिल्ली लाए गए। पहले ब्लैक बॉक्स को दोपहर 2 बजे AAIB लैब में पहुँचाया गया, जबकि दूसरे को शाम 5:15 बजे लाया गया।


डेटा निष्कर्षण और जांच की स्थिति

डेटा निष्कर्षण और वर्तमान स्थिति
24 जून की शाम को, AAIB और NTSB के तकनीकी विशेषज्ञों की एक टीम ने डेटा निष्कर्षण प्रक्रिया शुरू की। पहले ब्लैक बॉक्स से क्रैश प्रोटेक्शन मॉड्यूल (CPM) को सुरक्षित रूप से निकाला गया। 25 जून को, मेमोरी मॉड्यूल तक पहुँचकर उसका डेटा AAIB लैब में डाउनलोड किया गया। वर्तमान में, CVR और FDR से डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है। जांचकर्ताओं का उद्देश्य उन घटनाओं के अनुक्रम को पुनः स्थापित करना है जो दुर्घटना का कारण बनीं और भविष्य में विमानन सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक कारकों की पहचान करना है।