एयर इंडिया फ्लाइट हादसे में एकमात्र जीवित बचे यात्री की कहानी

हादसे का विवरण
एयर इंडिया की फ्लाइट 171 के दुर्घटना में सभी यात्रियों, क्रू सदस्यों और पायलट की मृत्यु हो गई है। इस घटना में केवल एक व्यक्ति, विश्वास कुमार रमेश, जीवित बचे हैं। उनका इस गंभीर हादसे से बचना सभी के लिए चौंकाने वाला है। इस घटना ने लोगों का भगवान और चमत्कार पर विश्वास फिर से जागृत कर दिया है। विश्वास कुमार ने सभी बाधाओं को पार करते हुए अपनी जान बचाई। इस दुर्घटना में कुल 241 लोग मारे गए।
बचने का तरीका
हादसे के बाद, विश्वास कुमार विमान के आगे के हिस्से से बाहर निकलने में सफल रहे। वह ऐसी सीट पर बैठे थे, जिसे आमतौर पर दुर्घटना के समय कम सुरक्षित माना जाता है। वर्तमान में, वह एक स्थानीय अस्पताल में अपनी चोटों से ठीक हो रहे हैं। डीडी न्यूज से बातचीत में उन्होंने बताया कि जिस दिशा में वह बैठे थे, विमान वहीं पर उतरा। जब दरवाजा टूटा, तो उन्होंने देखा कि बाहर निकलने का रास्ता है।
सुरक्षित सीट का महत्व
बोइंग 787 ड्रीमलाइनर की 11वीं पंक्ति, जहां विश्वास कुमार बैठे थे, निकास द्वार के पास स्थित है। यह सीट 11A, एक खिड़की वाली सीट है, जो निकास द्वार के बगल में है। कुमार ने कहा, "यह सब मेरी आँखों के सामने हुआ। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मैं कैसे बच गया।"
सुरक्षा आंकड़े
कई कारकों के कारण कुमार इस दुर्घटना से बच गए। सांख्यिकीय दृष्टिकोण से, विमान का पिछला हिस्सा सबसे सुरक्षित माना जाता है। टाइम पत्रिका के एक अध्ययन के अनुसार, पिछले हिस्से में बैठने वाले यात्रियों की मृत्यु दर कम होती है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि विमान के पिछले हिस्से में बैठने वाले यात्रियों की मृत्यु दर 32 प्रतिशत थी।
अन्य अध्ययन
अप्रैल 2012 में, एक परीक्षण में यह पाया गया कि विमान के आगे बैठे यात्री अधिक जोखिम में होते हैं। पॉपुलर मैकेनिक्स के एक अध्ययन में यह भी बताया गया कि विमान के पंख के पीछे बैठे लोगों की बचने की दर 69 प्रतिशत थी।
निष्कर्ष
हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि हर दुर्घटना की परिस्थितियाँ भिन्न होती हैं। एफएए ने हमेशा कहा है कि किसी भी विमान का कोई भी हिस्सा दूसरे हिस्से से अधिक या कम सुरक्षित नहीं होता। यात्रियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि वे चालक दल के निर्देशों का पालन करें।