एनसीपी युवा शाखा के अध्यक्ष सूरज चव्हाण को हटाया गया, विवाद के बाद लातूर में बंद का आह्वान
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के युवा शाखा के अध्यक्ष सूरज चव्हाण को पार्टी प्रमुख अजित पवार ने पद से हटा दिया है। यह कार्रवाई तब की गई जब चव्हाण और उनके सहयोगियों ने मराठा संगठन 'छवा' के नेता राजेंद्र पाटिल पर कथित तौर पर हमला किया। इस घटना के बाद लातूर में बंद का आह्वान किया गया है। जानें इस विवाद की पूरी कहानी और इसके राजनीतिक प्रभाव के बारे में।
Jul 21, 2025, 19:45 IST
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सूरज चव्हाण की पद से बर्खास्तगी
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के युवा शाखा के अध्यक्ष सूरज चव्हाण को पार्टी के प्रमुख अजित पवार ने उनके पद से हटा दिया है। यह कार्रवाई तब की गई जब चव्हाण और उनके सहयोगियों ने मराठा संगठन 'छवा' के नेता राजेंद्र पाटिल पर कथित तौर पर हमला किया। अजित पवार ने चव्हाण से तुरंत इस्तीफा देने का निर्देश दिया, क्योंकि पाटिल की पिटाई का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। यह घटना लातूर में हुई, जिसने महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति में हलचल पैदा कर दी। इसके बाद, मराठा संगठनों ने लातूर में बंद का आह्वान किया। धाराशिव में राकांपा के प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे से छवा कार्यकर्ताओं ने मुलाकात की और चव्हाण के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की मांग की। छवा ने लातूर में फिर से बंद का आह्वान किया, और धाराशिव, जालना, नांदेड़ और बीड में भी विरोध प्रदर्शन और सड़क जाम की घटनाएं देखी गईं।
विवाद की शुरुआत
कैसे शुरू हुआ विवाद?
यह विवाद तब शुरू हुआ जब एनसीपी के नेता और कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे विधानसभा सत्र के दौरान रमी खेलते हुए पकड़े गए। इस घटना का एक वीडियो एनसीपी के शरद पवार गुट के नेता रोहित पवार ने ट्वीट किया। इसके बाद कोकाटे के इस्तीफे की मांग तेज हो गई। राजेंद्र पाटिल और छावा के अन्य सदस्यों ने लातूर में सुनील तटकरे से मिलने के लिए गए, जहां उन्होंने प्रतीकात्मक विरोध के रूप में उनके सामने ताश के पत्ते फेंके। एनसीपी के नेताओं ने इसे अपमान समझा और फिर पाटिल और उनके समर्थकों पर हमला कर दिया। यह घटना कैमरे में कैद हो गई, जिसमें सूरज चव्हाण को पाटिल पर शारीरिक हमला करते हुए देखा गया।
छावा का प्रभाव
छावा का प्रभाव
1990 में स्थापित, मराठा युवा संगठन छावा का समुदाय में महत्वपूर्ण प्रभाव है। यह संगठन मराठा और बहुजन समुदायों के बीच अपनी मजबूत पकड़ के लिए जाना जाता है, जो विभिन्न मुद्दों पर इसके आक्रामक रुख का परिणाम है। छावा ने किसानों और मराठा समुदाय से संबंधित हिंसक विरोध प्रदर्शनों में भी भाग लिया है। राज्य में छावा के प्रभाव को देखते हुए, इसके नेताओं पर हमले आगामी चुनावों में एनडीए गठबंधन की संभावनाओं को प्रभावित कर सकते हैं।