एनआईए ने शब्बीर अहमद शाह की जमानत याचिका का विरोध किया

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने कश्मीरी अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह की जमानत याचिका का विरोध करते हुए उच्चतम न्यायालय में महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि भारत और जम्मू-कश्मीर को अलग इकाइयां मानना गलत है। न्यायालय ने शाह को 10 दिन का समय दिया है ताकि वह मामले में प्रत्युत्तर दाखिल कर सकें। सुनवाई 14 नवंबर को होगी। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और एनआईए के तर्क।
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एनआईए ने शब्बीर अहमद शाह की जमानत याचिका का विरोध किया

शब्बीर अहमद शाह की जमानत याचिका पर एनआईए का विरोध

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में कश्मीरी अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह की जमानत याचिका का विरोध करते हुए यह स्पष्ट किया कि भारत और जम्मू-कश्मीर को अलग-अलग इकाइयां मानना गलत है।


एनआईए की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मुद्दे पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ से कहा, 'भारत के उच्चतम न्यायालय के समक्ष कोई भी भारतीय राज्य और जम्मू एवं कश्मीर को अलग नहीं कह सकता। मैं इसे एक महत्वपूर्ण मुद्दा मानता हूं।'


न्यायालय शाह की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें उसने दिल्ली उच्च न्यायालय के 12 जून के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसे आतंकी वित्तपोषण मामले में जमानत देने से इनकार किया गया था। मेहता ने बताया कि एनआईए ने इस मामले में अपना हलफनामा प्रस्तुत किया है।


उन्होंने कहा, 'शब्बीर शाह का यह दावा कि वह 30 साल से अधिक समय से जेल में है, तथ्यात्मक रूप से गलत है।' शाह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंसाल्वेस ने कहा कि वह 39 साल तक जेल में रहा है। पीठ ने शाह को मामले में प्रत्युत्तर दाखिल करने के लिए 10 दिन का समय दिया।


जब पीठ ने कहा कि अगली सुनवाई 14 नवंबर को होगी, तो गोंसाल्वेस ने अनुरोध किया कि मामले की सुनवाई जल्द की जाए क्योंकि शाह 'बहुत बीमार' है। मेहता ने कहा, 'वह बीमार है, यही समस्या है।'


इसके बाद पीठ ने याचिका पर सुनवाई 10 नवंबर के लिए निर्धारित कर दी। शीर्ष अदालत ने 24 सितंबर को मामले की सुनवाई करते हुए एनआईए से शाह के खिलाफ अन्य आपराधिक मामलों में उसकी हिरासत से संबंधित जानकारी प्रस्तुत करने को कहा था। पीठ ने बताया कि उसके खिलाफ संभवतः 24 मामले हैं।


चार सितंबर को शीर्ष अदालत ने शाह को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था और उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली शाह की याचिका पर एनआईए को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा था। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शाह को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि उसके द्वारा इसी तरह की गैरकानूनी गतिविधियों में संलिप्त रहने और गवाहों को प्रभावित करने की संभावना को नकारा नहीं किया जा सकता। एनआईए ने शाह को चार जून 2019 को गिरफ्तार किया था।