एनआईए ने पीडीपी नेता पारा की जमानत शर्तों में नरमी का किया विरोध

एनआईए का विरोध
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के नेता और विधायक वहीद-उर-रहमान पारा की जमानत शर्तों में नरमी के अनुरोध का विरोध किया है। एनआईए ने कहा कि पारा कानून का पालन करने वाले नागरिक नहीं हैं और उनके खिलाफ 'राष्ट्रीय सुरक्षा' से जुड़े गंभीर आरोप हैं।
जमानत शर्तों का विवरण
एनआईए ने पारा की याचिका पर चार पन्नों का विस्तृत जवाब दिया, जिसमें कहा गया कि जमानत की शर्तों में नरमी देने से आरोपी कानून के शिकंजे से भाग सकता है। अदालत ने पारा को जमानत दी, लेकिन उन्हें केंद्र शासित प्रदेश छोड़ने की अनुमति नहीं दी।
पारा की गिरफ्तारी
पारा को पहली बार 25 नवंबर 2020 को गिरफ्तार किया गया था और उन्हें 9 जनवरी 2021 को जमानत मिली थी, लेकिन उन्हें जम्मू की जेल से रिहा नहीं किया गया। उन्हें जम्मू-कश्मीर पुलिस की आपराधिक जांच शाखा ने गिरफ्तार किया था, जिसे अब राज्य अन्वेषण अभिकरण (एसआईए) में बदल दिया गया है।
विशेष अदालत में याचिका
हाल ही में, पारा ने एनआईए की विशेष अदालत में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने जम्मू-कश्मीर से बाहर यात्रा करने की अनुमति मांगी। एनआईए ने कहा कि मौजूदा जमानत शर्तें उन्हें विधायक के रूप में अपने कर्तव्यों का पालन करने से नहीं रोकती हैं।
एनआईए की चिंताएं
एनआईए ने कहा कि पारा कानून का पालन करने वाले नागरिक नहीं हैं और उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाले गंभीर आरोप हैं। एजेंसी ने यह भी कहा कि जमानत शर्तों में छूट देने से आरोपी के फरार होने का बड़ा जोखिम हो सकता है।
उच्च न्यायालय का आदेश
पारा को आतंकवाद से संबंधित एक मामले में 18 महीने बाद 2022 में उच्च न्यायालय ने जमानत दी थी। उच्च न्यायालय ने कहा था कि अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य अधूरे हैं, जिसके कारण उन्हें राहत देने से इनकार नहीं किया जा सकता।