एक बेटे की प्रेरणादायक कहानी: मां का मंगलसूत्र बेचकर पिता का चालान भरा

उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले में एक बेटे ने अपने पिता का चालान भरने के लिए अपनी मां का मंगलसूत्र बेच दिया। जब एआरटीओ ने उसकी कहानी सुनी, तो उन्होंने न केवल चालान की राशि खुद भरी, बल्कि बेटे की पढ़ाई का खर्च उठाने का भी प्रस्ताव रखा। यह कहानी मानवता की एक नई मिसाल पेश करती है। जानिए इस प्रेरणादायक घटना के बारे में।
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एक बेटे की प्रेरणादायक कहानी: मां का मंगलसूत्र बेचकर पिता का चालान भरा

मानवता की मिसाल

एक बेटे की प्रेरणादायक कहानी: मां का मंगलसूत्र बेचकर पिता का चालान भरा


दुनिया में हर प्रकार के लोग होते हैं, कुछ अच्छे और कुछ बुरे। यह कहा जाता है कि हर इंसान के अंदर अच्छाई और बुराई दोनों का समावेश होता है। इस कलयुग में जहां बुराई की कई मिसालें देखने को मिलती हैं, वहीं आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति की कहानी बताएंगे जो मानवता की एक नई परिभाषा प्रस्तुत करता है।


पिता का चालान और बेटे की जिम्मेदारी

उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले के एआरटीओ आरसी भारती का एक मानवीय चेहरा सामने आया है। पुरंदरपुर थाना क्षेत्र के सिंहपुर ताल्ही गांव में रहने वाले विजय कुमार ने अपने पिता के लिए एक साहसिक कदम उठाया। उनके पिता, राजकुमार, एक ऑटो चालक हैं और हाल ही में उनका 24,500 रुपए का चालान काटा गया था। राजकुमार के पास इतनी राशि नहीं थी, इसलिए विजय ने एआरटीओ कार्यालय जाकर चालान की राशि भरने का निर्णय लिया।


मां का मंगलसूत्र बेचकर चालान भरा

विजय ने अपने पिता के चालान के लिए अपनी मां का मंगलसूत्र बेच दिया, लेकिन फिर भी उसके पास पैसे कम पड़ गए। जब वह एआरटीओ कार्यालय पहुंचा, तो उसकी परेशानी देखकर एआरटीओ ने उसे बुलाया और उसकी समस्या पूछी। विजय ने बताया कि उसके पिता को एक आंख से कम नजर आता है और परिवार में छह बहनें हैं।


एआरटीओ की दरियादिली

एआरटीओ आरसी भारती ने विजय की कहानी सुनकर दया दिखाई और खुद अपनी सैलरी से चालान की राशि भर दी। इसके अलावा, उन्होंने विजय की पढ़ाई का खर्च उठाने का भी प्रस्ताव रखा। विजय ने बताया कि वह मजदूरी करता है और हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी नहीं कर सका। एआरटीओ की इस दरियादिली ने सभी को प्रभावित किया।


हालांकि, एआरटीओ ने मीडिया से ज्यादा बात नहीं की, बस इतना कहा कि उन्होंने विजय की पीड़ा को समझा और इसलिए जुर्माना खुद ही भरा।