एक दुकानदार की सलाह से हर्ष मारीवाला ने बनाया अरबों का साम्राज्य
हर्ष मारीवाला का सफर
हर्ष मारीवाला
हर्ष मारीवाला, जो मैरिको के चेयरमैन हैं, ने पैराशूट और सफोला जैसे प्रमुख ब्रांडों को स्थापित किया है। आज वे देश के सबसे सफल व्यवसायियों में से एक माने जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनकी इस विशाल कंपनी की शुरुआत एक साधारण दुकानदार की सलाह से हुई थी? मारीवाला ने लिंक्डइन पर अपने शुरुआती संघर्ष का एक दिलचस्प किस्सा साझा किया है, जो दर्शाता है कि बड़े विचार अक्सर साधारण लोगों के बीच से ही निकलते हैं।
साधारण शुरुआत
मारीवाला ने बताया कि जब मैरिको अपने प्रारंभिक चरण में था, तब उनके पास कोई विकल्प नहीं था। वे अपने परिवार के ‘बॉम्बे ऑयल इंडस्ट्रीज’ से अलग होकर कुछ नया करने की कोशिश कर रहे थे और उनके पास मार्केटिंग के लिए कोई बड़ा बजट नहीं था। उन्होंने एक छोटे कस्बे में एक डिस्ट्रीब्यूटर के घर पर ठहरने का निर्णय लिया।
उस समय न तो महंगे होटलों में रुकने के पैसे थे और न ही आरामदायक दफ्तर। मारीवाला खुद डिस्ट्रीब्यूटर्स से मिलने जाते थे, धूल भरी सड़कों पर यात्रा करते थे और छोटे गेस्ट रूम में ठहरते थे। वे लिखते हैं, “मैं डिस्ट्रीब्यूटर्स के साथ चाय-समोसे पर बैठता था,” ताकि ग्राहकों के व्यवहार को समझ सकूँ। यह जानकारी किसी कॉर्पोरेट रिपोर्ट में नहीं मिल सकती थी।
दुकानदार की सलाह ने बदली दिशा
एक यात्रा के दौरान, एक स्थानीय दुकानदार ने उन्हें एक सलाह दी जिसने मैरिको की पैकेजिंग को पूरी तरह से बदल दिया। दुकानदार ने कहा, “आप हमेशा बड़े टिन ही बेचते हैं। जब लोग दोबारा खरीदने आते हैं, तो वे कुछ किलो ही लेते हैं। अगर आपका पैकेट छोटा होगा, तो वे आपकी ब्रांड को आसानी से उठा लेंगे।”
यह एक साधारण सी बात थी, लेकिन मारीवाला ने इसकी महत्वता को तुरंत समझा। इस सलाह ने उन्हें बड़े टिनों से छोटे, आसानी से खरीदे जा सकने वाले पैकेट लॉन्च करने के लिए प्रेरित किया।
असली रिसर्च का स्थान
यह छोटा सा बदलाव मैरिको के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। इसी निर्णय ने मैरिको को एक बल्क ऑयल सप्लायर से एक प्रसिद्ध FMCG ब्रांड में बदल दिया। मारीवाला इस किस्से के माध्यम से नए उद्यमियों को एक महत्वपूर्ण संदेश देते हैं। वे कहते हैं कि डेटा और रिपोर्ट अपनी जगह हैं, लेकिन “आपकी असली रिसर्च लैब स्प्रेडशीट या एजेंसियां नहीं हैं। यह ज़मीन है… पड़ोस की दुकानों की धूल भरी अलमारियों में और उन बातचीत में जो पहली नज़र में मामूली लगती हैं।
