एक ट्रक ड्राइवर की बहादुरी ने बचाई एक लड़की की जान

हरदयालपुर गांव की दिल दहला देने वाली घटना

आपने यह कहावत सुनी होगी कि 'जिसका कोई नहीं होता, उसका खुदा होता है'। जब लोग मुसीबत में होते हैं, तो वे अक्सर भगवान को याद करते हैं। यदि दिल से प्रार्थना की जाए, तो भगवान किसी न किसी रूप में मदद भेजते हैं। आज हम आपको पीलीभीत और टनकपुर मार्ग पर स्थित हरदयालपुर गांव की एक ऐसी घटना के बारे में बताएंगे, जो इस कहावत को सच साबित करती है.
इस गांव के पास घना जंगल है और गांव से लगभग 300 मीटर की दूरी पर सावित्री देवी की झोपड़ी है। सावित्री अपनी 17 वर्षीय बेटी किरण के साथ रहती हैं। सावित्री के पति चार साल पहले गुजर गए थे, जिसके बाद मां-बेटी अकेले रह गईं। हाल ही में, दोनों अपनी झोपड़ी में सो रही थीं, तभी कुछ गुंडों ने उनके घर पर हमला कर दिया.
यह घटना रात के लगभग 1:30 बजे हुई। गुंडों ने जबरन किरण को उठाया और जंगल की ओर ले गए। किरण ने शोर मचाया, लेकिन वह अकेली थी और कुछ नहीं कर सकी.
तभी एक व्यक्ति, जो कि ट्रक ड्राइवर था, किरण की मदद के लिए आया। जब गुंडे किरण को जंगल की ओर ले जा रहे थे, तब एक ट्रक वहां से गुजर रहा था। ड्राइवर असलम ने जब किरण की आवाज़ सुनी, तो उसने ट्रक रोका और अपने दोस्त के साथ जंगल की ओर दौड़ा. जंगल में पहुंचकर उसने देखा कि दो गुंडे एक लड़की को परेशान कर रहे थे.
असलम ने तुरंत एक गुंडे को पकड़ लिया, लेकिन दूसरे गुंडे ने उसे पीछे से मारा। असलम को गंभीर चोट आई, लेकिन उसने हार नहीं मानी और किरण को बचाने की कोशिश जारी रखी.
असलम के दोस्त को भी चोट लगी, लेकिन उन्होंने दोनों गुंडों का सामना किया और अंततः गुंडे भाग गए। असलम ने बहादुरी से किरण की इज्जत बचाई, लेकिन उसे अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. ठीक होने के बाद, असलम ने सावित्री और किरण से मुलाकात की और फिर चला गया.
चार साल बाद, असलम उसी रास्ते से गुजर रहा था, तभी उसके ट्रक में आग लग गई और वह खाई में गिर गया। यह खाई सावित्री के घर से लगभग एक किलोमीटर दूर थी। रात में जोर से चिल्लाने की आवाज सुनकर सावित्री और किरण जाग गईं और खाई तक पहुंचीं। उन्होंने असलम की जान बचाई और उसे अपने घर ले जाकर इलाज करवाया.
जब असलम को होश आया, तो उसने किरण को पहचान लिया। उसने पूछा क्या वह वही लड़की है जिसे गुंडों ने उठाया था? यह सुनकर किरण ने भी उसे पहचान लिया और दोनों गले लगकर रोने लगे। उस दिन से किरण ने असलम को अपना भाई मान लिया और हर रक्षाबंधन पर उसे राखी बांधती है.
यह घटना हमें यह सिखाती है कि इंसानियत का कोई धर्म नहीं होता।