एक ट्रक ड्राइवर की बहादुरी: एक लड़की की जान बचाने की कहानी

यह कहानी एक ट्रक ड्राइवर की बहादुरी की है, जिसने एक लड़की को गुंडों से बचाया। चार साल बाद, जब उसी ड्राइवर को मदद की जरूरत पड़ी, तो वह लड़की और उसकी मां ने उसकी जान बचाई। यह घटना इंसानियत और साहस की एक अद्भुत मिसाल है। जानिए कैसे दोनों की जिंदगी एक-दूसरे से जुड़ गई।
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एक ट्रक ड्राइवर की बहादुरी: एक लड़की की जान बचाने की कहानी

एक अद्भुत घटना

एक ट्रक ड्राइवर की बहादुरी: एक लड़की की जान बचाने की कहानी


आपने यह कहावत सुनी होगी कि 'जिसका कोई नहीं होता, उसका खुदा होता है'। जब लोग मुसीबत में होते हैं, तो वे अक्सर भगवान को याद करते हैं। यदि दिल से प्रार्थना की जाए, तो भगवान किसी न किसी रूप में मदद भेजते हैं। आज हम आपको हरदयालपुर गांव की एक ऐसी घटना के बारे में बताएंगे, जो इस कहावत को सच साबित करती है।


इस गांव के पास घना जंगल है और वहां से लगभग 300 मीटर की दूरी पर सावित्री देवी की झोपड़ी है। सावित्री अपनी 17 वर्षीय बेटी किरण के साथ रहती हैं। चार साल पहले सावित्री के पति का निधन हो गया था, जिसके बाद मां-बेटी अकेले रह गईं। हाल ही में, जब दोनों झोपड़ी में सो रही थीं, कुछ गुंडों ने उन पर हमला कर दिया।


यह घटना रात के लगभग 1:30 बजे हुई। गुंडों ने किरण को उठाकर जंगल की ओर ले जाना शुरू किया। किरण ने शोर मचाया, लेकिन वह अकेली थी और कुछ नहीं कर सकी।


तभी एक ट्रक ड्राइवर, असलम, उनकी मदद के लिए आया। जब गुंडे किरण को जंगल की ओर ले जा रहे थे, तब असलम ने उनकी आवाज सुनी और ट्रक रोककर जंगल की ओर दौड़ पड़ा। वहां पहुंचकर उसने देखा कि गुंडे एक लड़की के साथ बुरा कर रहे हैं।


असलम ने तुरंत एक गुंडे को पकड़ लिया, लेकिन दूसरे गुंडे ने उसे पीछे से मारा। असलम को गंभीर चोट आई, लेकिन उसने हार नहीं मानी और किरण को बचाने की कोशिश जारी रखी। उसके दोस्त ने भी उसकी मदद की और दोनों ने मिलकर गुंडों का सामना किया। अंततः गुंडे भाग गए और असलम ने किरण की इज्जत बचा ली।


इस घटना के चार साल बाद, असलम उसी रास्ते से गुजर रहा था, जब उसके ट्रक में आग लग गई और वह खाई में गिर गया। यह खाई सावित्री के घर से लगभग एक किलोमीटर दूर थी। रात में जोर से चिल्लाने की आवाज सुनकर सावित्री और किरण जाग गईं और असलम की मदद के लिए दौड़ पड़ीं। उन्होंने उसे बचाया और डॉक्टर को बुलाकर उसका इलाज करवाया।


जब असलम को होश आया, तो उसने किरण को पहचान लिया और पूछा कि क्या वह वही लड़की है जिसे गुंडों ने उठाया था। यह सुनकर किरण भी उसे पहचान गई और दोनों गले लगकर रोने लगे। उस दिन से किरण ने असलम को अपना भाई मान लिया और हर रक्षाबंधन पर उसे राखी बांधती है।


यह कहानी हमें यह सिखाती है कि इंसानियत का कोई धर्म नहीं होता।