एआई और प्रिंट मीडिया: भविष्य की संभावनाएं
भोपाल में आयोजित 'अभ्युदय' कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार यशवंत व्यास ने एआई और प्रिंट मीडिया के भविष्य पर विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि कैसे एआई प्रिंट मीडिया को लाभ पहुंचा सकता है और मानवीय गुणों की प्रासंगिकता को बनाए रखना आवश्यक है। कार्यक्रम में कई अन्य वरिष्ठ पत्रकारों ने भी अपने अनुभव और विचार साझा किए, जो पत्रकारिता के क्षेत्र में नई दिशा दिखाते हैं। जानें इस कार्यक्रम में और क्या हुआ और कैसे यह पत्रकारिता के भविष्य को प्रभावित कर सकता है।
Aug 22, 2025, 11:15 IST
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एआई का प्रभाव और प्रिंट मीडिया का भविष्य
भोपाल। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) एक उपयोगी साथी या सहायक साबित हो सकता है। इसे ईमानदारी जैसे गुणों से चुनौती दी जा सकती है। एआई से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि प्रिंट मीडिया को इससे काफी लाभ होगा। वर्तमान में, हाइपर लोकल समाचारों का महत्व बढ़ रहा है, जिससे प्रिंट मीडिया में फील्ड रिपोर्टिंग के अवसर बढ़ेंगे। ये विचार वरिष्ठ पत्रकार और लेखक यशवंत व्यास ने एमसीयू के सत्रारंभ कार्यक्रम 'अभ्युदय' के दूसरे दिन पहले सत्र में व्यक्त किए। वे 'एआई के दौर में प्रिंट मीडिया' विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे।
वरिष्ठ पत्रकारों के विचार
कार्यक्रम के दूसरे दिन विभिन्न सत्रों में यशवंत व्यास, वरिष्ठ रेडियो उद्घोषक कमल शर्मा, जनसंपर्क विशेषज्ञ डॉ. समीर कपूर, संस्कृतिधर्मी डॉ. सच्चिदानंद जोशी, पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर और वरिष्ठ पत्रकार विनय उपाध्याय ने अपने विचार साझा किए। प्रारंभिक सत्र में यशवंत व्यास ने कहा कि आधुनिक तकनीक और मानव सभ्यता के विकास में इंटेलिजेंस कोसेंट, फिजिकल कोसेंट, इमोशनल कोसेंट और स्प्रिचुअल कोसेंट जैसे मानवीय गुणों की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि मशीनें मानव का मुकाबला नहीं कर सकतीं, हालांकि तकनीक का दखल बढ़ा है। प्रिंट मीडिया को मानवीय गुणों की प्रीमियम वैल्यू विकसित करनी होगी।
स्वागत भाषण और संवाद कौशल
कुलगुरू श्री विजय मनोहर तिवारी ने स्वागत भाषण में कहा कि प्रिंट मीडिया की पत्रकारिता विशिष्ट रही है और कई समाचार पत्रों ने मानदंड स्थापित किए हैं। उन्होंने अपने अनुभव साझा किए। 'आवाज की दुनिया' विषय पर कमल शर्मा ने कहा कि शब्दों में शक्ति होती है, जो खुशी और उदासी दोनों का संचार कर सकती है। उन्होंने अच्छे संवाद के लिए अच्छे शब्दों की आवश्यकता पर जोर दिया।
पत्रकारिता, साहित्य और संस्कृति
पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर ने 'पत्रकारिता साहित्य एवं संस्कृति' विषय पर कहा कि भाषा के लिए तकनीक पर निर्भरता ठीक नहीं है। उन्होंने पत्रकारिता में लोकमंगल की भावना को महत्वपूर्ण बताया। डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने भारतीय संस्कृति की समृद्धि पर प्रकाश डाला।
डिजिटल युग में जनसंपर्क
डॉ. समीर कपूर ने डिजिटल युग में विज्ञापन और जनसंपर्क की रणनीतियों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में नए आयाम जुड़े हैं और प्रतिस्पर्धा की जानकारी होना आवश्यक है।
पुरस्कार वितरण और विचार साझा करना
इस अवसर पर पत्रकारिता विभाग के समाचार पत्र विकल्प और जनसंचार विभाग के पत्र 'पहल' का विमोचन किया गया। छात्राओं को विभिन्न पुरस्कार भी दिए गए। पूर्व छात्राओं ने भी अपने विचार साझा किए।
आगामी सत्र
आज के सत्र
अभ्युदय कार्यक्रम के तीसरे दिन, 22 अगस्त 2025 को, प्रख्यात पत्रकार अनंत विजय फिल्म समीक्षा पर उद्बोधन देंगे। सिनेमा लेखन के विविध आयामों पर विपुल रावल अपनी बात रखेंगे। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के विभिन्न पहलुओं पर वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश सिंह और बालकृष्ण विचार साझा करेंगे। सेंसर टेक्नोलॉजी और मीडिया कानून पर भी व्याख्यान होंगे।