उमर अब्दुल्ला ने पाकिस्तान के साथ संबंधों पर जताई चिंता, कहा- सामान्य होना असंभव

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पाकिस्तान के साथ संबंधों को सामान्य करने की संभावना को असंभव बताया है। उन्होंने हालिया आतंकवादी घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि भारत से उकसावों को नजरअंदाज करने की उम्मीद करना व्यावहारिक नहीं है। इसके अलावा, उन्होंने जम्मू-कश्मीर की प्रशासनिक व्यवस्था और उपराज्यपाल के हस्तक्षेप पर भी सवाल उठाए। उमर अब्दुल्ला ने मोदी सरकार के प्रति अपनी संतुलित राय साझा की, जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार से वित्तीय सहयोग की प्रशंसा की।
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उमर अब्दुल्ला ने पाकिस्तान के साथ संबंधों पर जताई चिंता, कहा- सामान्य होना असंभव

पाकिस्तान के साथ संबंधों की स्थिति

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने हाल ही में कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में पाकिस्तान के साथ संबंधों का सामान्य होना 'असंभव' प्रतीत होता है। उन्होंने आतंकवादी घटनाओं में वृद्धि और इस्लामाबाद की ओर से राजनीतिक गंभीरता की कमी को इसका मुख्य कारण बताया। एक कार्यक्रम में बोलते हुए, उन्होंने संवाद को विवादों का समाधान बताया, लेकिन यह भी कहा कि बातचीत के लिए आवश्यक अनुकूल माहौल इस समय अनुपस्थित है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसा माहौल बनाने की जिम्मेदारी पाकिस्तान की है।


आतंकवादी घटनाओं का जिक्र

उमर अब्दुल्ला ने पहलगाम, दिल्ली और अन्य स्थानों पर हाल में हुए आतंकवादी हमलों का उल्लेख करते हुए कहा कि जमीनी स्थिति अभी भी शत्रुतापूर्ण है। उन्होंने कहा कि भारत से यह उम्मीद करना कि वह उकसावों को नजरअंदाज करेगा, व्यावहारिक नहीं है। उन्होंने कहा, "जब तक दिल्ली विस्फोट जैसी घटनाएं होती रहेंगी, तब तक संबंधों के सामान्य होने की कल्पना भी नहीं की जा सकती।"


प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल

एक्सप्रेस अड्डा के मंच से, उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर की प्रशासनिक व्यवस्था पर भी सवाल उठाए। उन्होंने मुख्यमंत्री पद को 'शक्तिविहीन' बताते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक व्यक्ति जो कभी देश के सबसे शक्तिशाली राज्यों में से एक का नेतृत्व कर चुका है, अब एक केंद्र शासित प्रदेश का मुख्यमंत्री है, जिसके पास सीमित अधिकार हैं। उन्होंने उपराज्यपाल के हस्तक्षेप की आलोचना की और केंद्र सरकार से जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की।


शासन की जटिलताएं

उमर अब्दुल्ला ने स्वीकार किया कि पद ग्रहण करने के बाद शासन की जटिलताएं उन्हें पहले से अधिक गहराई से समझ में आई हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में निर्वाचित सरकार होने के बावजूद, कानून-व्यवस्था और पुलिस से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णय अब भी उपराज्यपाल के अधिकार क्षेत्र में हैं। इस स्थिति में सरकार की जवाबदेही और निर्णय लेने की क्षमता के बीच संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण हो गया है।


राजनीतिक जीवन का अनुभव

अपने राजनीतिक जीवन पर विचार करते हुए, उमर अब्दुल्ला ने कहा कि संसद में पहुंचने से लेकर केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री बनने तक, हर भूमिका ने उन्हें यह सिखाया है कि जम्मू-कश्मीर में शासन करना अन्य हिस्सों की तुलना में अधिक संवेदनशील और जटिल है। उन्होंने कहा कि जनता की अपेक्षाएं स्वाभाविक रूप से ऊंची होती हैं, खासकर जब एक निर्वाचित सरकार सत्ता में होती है।


मोदी सरकार पर प्रतिक्रिया

जब उनसे पूछा गया कि क्या मोदी सरकार विपक्ष-शासित राज्यों के प्रति प्रतिशोध की भावना से काम करती है, तो उमर अब्दुल्ला ने संतुलित जवाब दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें इस मामले में कोई शिकायत नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा, "अगर मोदी सरकार चाहती तो हमें घुटनों पर ला सकती थी, लेकिन इसके विपरीत हमें तय बजट से अधिक धनराशि दी गई है।" उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के पास प्रशासनिक और आर्थिक दबाव बनाने के कई तरीके हो सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।