उपराष्ट्रपति धनखड़ ने भारतीय राजनीति की स्थिति पर चिंता व्यक्त की

राजनीतिक माहौल पर चिंता
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को देश के वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि आज का राजनीतिक वातावरण भारतीय लोकतंत्र और सामाजिक स्वास्थ्य के लिए अनुकूल नहीं है।
जयपुर के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में राजस्थान प्रगतिशील मंच द्वारा आयोजित स्नेह मिलन समारोह में धनखड़ ने बताया कि राजनीतिक संवाद की तीव्रता और लहजा लोकतांत्रिक और सामाजिक ताने-बाने के लिए हानिकारक हो रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि वह न तो किसी दबाव में आते हैं और न ही किसी पर दबाव डालते हैं। धनखड़ ने कहा, 'आज की राजनीति का माहौल और तापमान न तो हमारे लोकतंत्र के लिए उपयुक्त है और न ही हमारे प्राचीन सभ्यतागत मूल्यों के अनुरूप है। राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी दुश्मन नहीं होते।'
उपराष्ट्रपति ने विधायी आचरण में अधिक शालीनता की आवश्यकता पर जोर दिया और चेतावनी दी कि जनप्रतिनिधियों के आचरण के कारण जनता में असंतोष पैदा हो सकता है, जिससे लोकतांत्रिक संस्थाओं में विश्वास खत्म हो सकता है।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के मंदिरों में जो कुछ हो रहा है, वह चिंताजनक है। यदि इन संस्थाओं की गरिमा से समझौता किया गया, तो लोग विकल्प तलाशेंगे।
धनखड़ ने यह भी कहा कि पूर्व सांसद और विधायक सार्वजनिक संवाद की गुणवत्ता को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
उन्होंने संवैधानिक अधिकारियों की आलोचना के बारे में भी बात की, खासकर जब राज्य और केंद्र सरकारें अलग-अलग राजनीतिक दलों से संबंधित हों। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में राज्यपाल आसानी से निशाना बन जाते हैं।
धनखड़ ने कहा कि अब उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति को भी नहीं छोड़ा जा रहा है, जो उनके अनुसार उचित नहीं है।
उन्होंने यह स्पष्ट किया कि उन्होंने न तो किसी दबाव में काम किया और न ही उन पर कोई दबाव डाला गया।
उपराष्ट्रपति ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की तटस्थता की भी सराहना की और कहा कि उन पर दबाव नहीं डाला जा सकता।
धनखड़ ने विपक्ष को लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बताया, न कि कोई विरोधी।
उन्होंने खुले विचारों और संवाद की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति लोकतंत्र की आत्मा है, लेकिन जब यह दमनकारी या असहिष्णु हो जाती है, तो इसका अर्थ खो जाता है। रचनात्मक बहस आवश्यक है, और दूसरों की बात सुनने से अपने विचारों को मजबूती मिलती है।
राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे़ ने भी इस कार्यक्रम में अपने विचार साझा किए।