उपराष्ट्रपति धनखड़ ने भारतीय राजनीति की स्थिति पर चिंता व्यक्त की

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हाल ही में भारतीय राजनीति के वर्तमान माहौल पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति लोकतंत्र और सामाजिक स्वास्थ्य के लिए अनुकूल नहीं है। धनखड़ ने राजनीतिक तापमान को असहनीय बताते हुए सभी दलों से उच्चतम आचरण का पालन करने की अपील की। उन्होंने यह भी कहा कि जब हम विदेशों में जाते हैं, तो केवल भारत का मुद्दा होता है, न कि दलगत राजनीति। उनका मानना है कि भारत ने पिछले दशक में आर्थिक प्रगति की है, जो अन्य देशों के लिए एक उदाहरण है।
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उपराष्ट्रपति धनखड़ ने भारतीय राजनीति की स्थिति पर चिंता व्यक्त की

राजनीतिक माहौल पर चिंता

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि आज का राजनीतिक वातावरण भारतीय लोकतंत्र और सामाजिक स्वास्थ्य के लिए अनुकूल नहीं है। उनका मानना है कि राजनीति का तापमान और माहौल दोनों ही हमारे लोकतंत्र के लिए हानिकारक हैं। यह हमारी प्राचीन संस्कृति के मूल्यों के विपरीत है। राजनीति में विभिन्न दलों के बीच बदलाव होते रहते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमें एक-दूसरे के प्रति दुश्मनी रखनी चाहिए। दुश्मन हमारे सीमाओं के पार हो सकते हैं, लेकिन देश के भीतर हमें एकजुट रहना चाहिए।


 


धनखड़ ने कहा कि वर्तमान राजनीतिक तापमान असहनीय होता जा रहा है। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि विधान मंडलों को उच्चतम आचरण का पालन करना चाहिए। आज के परिदृश्य को देखते हुए, यह चिंता का विषय है कि लोकतंत्र के मंदिर में क्या हो रहा है। यदि यह स्थिति बनी रही, तो लोग इस मंदिर में पूजा करने नहीं आएंगे और दूसरी जगहों की तलाश करेंगे। यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती है। इस संदर्भ में पूर्व विधायकों का योगदान महत्वपूर्ण हो सकता है।


 


उपराष्ट्रपति ने कहा कि जब हम विदेश जाते हैं, तो न तो पक्ष होता है और न ही विपक्ष, केवल भारत होता है। यह बात अब स्पष्ट हो चुकी है। दलगत राजनीति से ऊपर उठकर, विभिन्न देशों में संसद सदस्यों और पूर्व राजनयिकों का जाना एक महत्वपूर्ण कदम है। यह दर्शाता है कि राष्ट्र सर्वोपरि है, राष्ट्रहित हमारा धर्म है, और भारतीयता हमारी पहचान है। उन्होंने कहा कि जब भी भारत का मुद्दा उठता है, हम विभाजित नहीं होते। हमारे राजनीतिक मतभेद हैं, लेकिन वे देश के भीतर हैं। कई बार हम आवेश में आकर सवाल उठाते हैं, लेकिन इससे अर्थव्यवस्था को नुकसान होता है।


 


धनखड़ ने यह भी सवाल उठाया कि भारत 11 साल पहले कहाँ था। यह केवल राजनीतिक विषय नहीं है, बल्कि हर कालखंड में देश ने विकास किया है। उन्होंने कहा कि आज भारत दुनिया की चार बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जबकि पहले यह दुनिया की 5 कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में से एक था। आज दुनिया मानती है कि पिछले दशक में भारत ने जो आर्थिक प्रगति की है, वह किसी अन्य बड़े देश ने नहीं की।