उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर राजनीतिक हलचल

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने राजनीतिक जगत में हलचल मचा दी है। उनके सेवानिवृत्ति की योजनाओं पर चर्चा करते हुए एक वीडियो वायरल हो गया है। इस इस्तीफे के पीछे स्वास्थ्य कारण बताए जा रहे हैं, लेकिन विपक्ष ने इसे अन्य राजनीतिक कारणों से जोड़ा है। जानें इस पर क्या प्रतिक्रियाएँ आई हैं और राजनीतिक दलों ने क्या कहा है।
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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर राजनीतिक हलचल

धनखड़ का सेवानिवृत्ति का बयान

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। उनके सेवानिवृत्ति की योजनाओं पर चर्चा करने वाला एक वीडियो फिर से वायरल हो रहा है। इस क्लिप में धनखड़ एक कार्यक्रम में यह कहते हुए नजर आ रहे हैं कि वह 2027 में राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त होने पर रिटायर हो जाएंगे। 10 जुलाई को दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में, उन्होंने दर्शकों के एक सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि वह सही समय पर, अगस्त 2027 में, ईश्वरीय कृपा से सेवानिवृत्त होंगे। 74 वर्षीय धनखड़ ने अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति का पद संभाला था और उनका कार्यकाल अगस्त 2027 तक है। 


राजनीतिक प्रतिक्रिया

सोमवार को संसद के मानसून सत्र के पहले दिन, उपराष्ट्रपति द्वारा स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए दिया गया इस्तीफा सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के लिए एक आश्चर्य का विषय बन गया। विपक्ष ने धनखड़ के अचानक इस्तीफे के लिए राज्यसभा की एक महत्वपूर्ण बैठक में प्रमुख मंत्रियों की अनुपस्थिति और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा की टिप्पणियों को जिम्मेदार ठहराया। हालांकि, भाजपा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए धनखड़ के स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया, जिनकी हाल ही में एंजियोप्लास्टी हुई थी। 


विपक्ष की चिंताएँ

विपक्ष ने आरोप लगाया कि उपराष्ट्रपति बीएसी की बैठक में जेपी नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू की अनुपस्थिति से निराश थे। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि बीएसी के सदस्य मंत्रियों का इंतजार करते रहे, लेकिन वे नहीं आए। हालांकि, नड्डा ने जानबूझकर अनुपस्थिति के आरोप को खारिज करते हुए कहा कि मंत्री महत्वपूर्ण कार्यों में व्यस्त थे और उन्होंने सभापति को पहले ही सूचित कर दिया था। कांग्रेस ने नड्डा के राज्यसभा में दिए गए भाषण का भी उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर सभापति को निर्देश दिया था कि केवल उनकी कही गई बातें ही रिकॉर्ड में दर्ज होंगी। कांग्रेस ने इसे उपराष्ट्रपति का अपमान बताया, लेकिन नड्डा ने इस आरोप का खंडन किया है।