उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: स्वास्थ्य या राजनीतिक संकेत?

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इस अचानक के फैसले ने संसद और राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि केवल स्वास्थ्य कारण इस कदम का एकमात्र कारण नहीं हो सकता। धनखड़ का इस्तीफा ऐसे समय आया है जब संसद का मानसून सत्र शुरू हुआ है और विपक्ष सरकार को घेरने की योजना बना रहा है। क्या यह इस्तीफा सत्तारूढ़ दल के लिए असहज करने वाला साबित होगा? जानें इस इस्तीफे के पीछे की असली वजहें और भविष्य की संभावनाएं।
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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: स्वास्थ्य या राजनीतिक संकेत?

जगदीप धनखड़ का अचानक इस्तीफा

राज्यसभा के मानसून सत्र के पहले दिन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सामान्य कार्यों का संचालन किया। उन्होंने सदन की कार्यवाही का संचालन किया, बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में भाग लिया और अपने जयपुर दौरे की आधिकारिक घोषणा की। लेकिन शाम को एक अप्रत्याशित घटनाक्रम ने संसद और राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी। धनखड़ ने अचानक अपने पद से इस्तीफे की घोषणा की। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों और चिकित्सकीय सलाह का हवाला दिया, लेकिन इसके पीछे की असली वजहों को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं।


स्वास्थ्य कारणों का संदर्भ

धनखड़ ने अपने इस्तीफे में संविधान के अनुच्छेद 67(क) का उल्लेख करते हुए कहा कि स्वास्थ्य कारणों के चलते वह उपराष्ट्रपति पद छोड़ रहे हैं। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त किया। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि केवल स्वास्थ्य कारण इस अचानक उठाए गए कदम का एकमात्र कारण नहीं हो सकता। मार्च में AIIMS में उनकी हार्ट सर्जरी और जून में नैनीताल में भाषण के दौरान बेहोश होने की घटनाएं उनके स्वास्थ्य को लेकर कुछ संकेत देती हैं, लेकिन हाल के दिनों में वे सक्रिय दिखाई दे रहे थे।


राजनीतिक संदर्भ

धनखड़ का इस्तीफा ऐसे समय आया है जब संसद का मानसून सत्र शुरू हुआ है और विपक्ष सरकार को घेरने की योजना बना रहा है। यह इस्तीफा सत्तारूढ़ दल के लिए असहज करने वाला साबित हो सकता है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि हाल के दिनों में धनखड़ अपने पद को लेकर असंतुष्ट महसूस कर रहे थे। उनके और सत्तारूढ़ पक्ष के बीच मतभेदों के संकेत तब मिले जब उन्होंने राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को जम्मू-कश्मीर के आतंकी हमले और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विवादित बयानों पर खुलकर बोलने की अनुमति दी।


संविधानिक और राजनीतिक संकेत

धनखड़ पहले उपराष्ट्रपति हैं जिन्होंने बिना राष्ट्रपति बनने की होड़ में शामिल हुए इस्तीफा दिया है। इससे पहले वी.वी. गिरि ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए और अन्य उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति बनने के बाद इस्तीफा दिया था। उनका अचानक इस्तीफा, विशेषकर भाजपा द्वारा उन्हें महत्वपूर्ण पदों पर लाने के बाद, एक बड़ा राजनीतिक संदेश माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि धनखड़ अब राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं, खासकर जाट समुदाय के बड़े चेहरे के रूप में हरियाणा या राजस्थान की राजनीति में।


भविष्य की संभावनाएं

धनखड़ का इस्तीफा केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य कारण नहीं, बल्कि गहरे राजनीतिक संकेतक के रूप में देखा जाना चाहिए। यह सत्तारूढ़ दल के लिए निश्चित रूप से असहज करने वाला है और विपक्ष इसे सरकार की कमजोर होती पकड़ के रूप में भुनाने की कोशिश करेगा। यदि धनखड़ किसी नई राजनीतिक भूमिका में नजर आते हैं, तो यह किसी के लिए भी आश्चर्य की बात नहीं होगी।


उपराष्ट्रपति के उत्तराधिकारी की नियुक्ति

जगदीप धनखड़ के उत्तराधिकारी की नियुक्ति के लिए चुनाव जल्द से जल्द कराना होगा। संविधान के अनुच्छेद 68 के अनुसार, उपराष्ट्रपति की मृत्यु, इस्तीफे या अन्य कारणों से रिक्ति को भरने के लिए चुनाव यथाशीघ्र आयोजित किया जाएगा। उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है, लेकिन कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी वह तब तक पद पर बने रह सकते हैं जब तक उनका उत्तराधिकारी पद ग्रहण न कर ले।


उपराष्ट्रपति के चुनाव की पात्रता

कोई व्यक्ति उपराष्ट्रपति के रूप में तब तक निर्वाचित नहीं हो सकता जब तक कि वह भारत का नागरिक न हो, 35 वर्ष की आयु पूरी न कर चुका हो और राज्यसभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित होने के लिए योग्य न हो। वह व्यक्ति भी पात्र नहीं है, जो भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन कोई लाभ का पद धारण करता हो।