उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: स्वास्थ्य कारणों से अचानक निर्णय
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 को स्वास्थ्य कारणों से अपने पद से इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रपति ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया। इस घटनाक्रम के बाद पीएम मोदी ने धनखड़ की सेवाओं की सराहना की। संघ प्रमुख मोहन भागवत के 75 वर्ष की रिटायरमेंट आयु के बयान के बाद राजनीतिक चर्चाएं तेज हो गई हैं। क्या यह पीएम मोदी के लिए भी संकेत है? जानें इस इस्तीफे के पीछे की पूरी कहानी और राजनीतिक टकराव के बारे में।
Jul 22, 2025, 16:42 IST
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उपराष्ट्रपति का इस्तीफा
21 जुलाई 2025, सोमवार को संसद के मानसून सत्र की शुरुआत हुई, और इसी दिन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा देने का निर्णय लिया। उन्होंने अपने इस्तीफे का कारण खराब स्वास्थ्य बताया। राष्ट्रपति ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया। गृह मंत्रालय ने केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन द्वारा हस्ताक्षरित एक राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से धनखड़ के इस्तीफे की जानकारी सार्वजनिक की। राज्यसभा में आज गृह मंत्रालय की इस अधिसूचना के बारे में बताया गया। प्रश्नकाल के लिए उच्च सदन की बैठक दोपहर बारह बजे शुरू हुई, जहां पीठासीन अध्यक्ष घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि गृह मंत्रालय ने संविधान के अनुच्छेद 67 (ए) के तहत धनखड़ के इस्तीफे की अधिसूचना 22 जुलाई 2025 को जारी की है।
धनखड़ की विदाई और पीएम मोदी की प्रतिक्रिया
यह दिलचस्प है कि जगदीप धनखड़, जो उपराष्ट्रपति बनने से पहले पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे, बीजेपी के प्रिय माने जाते थे। फिर भी, वे विदाई भाषण देने नहीं आए। पीएम मोदी के सोशल मीडिया पोस्ट में यह औपचारिकता सी लगती है। पीएम मोदी ने लिखा कि श्री जगदीप धनखड़ जी को उपराष्ट्रपति सहित कई भूमिकाओं में देश की सेवा का अवसर मिला है, और उन्होंने उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना की।
संघ प्रमुख का बयान और राजनीतिक चर्चा
कुछ हफ्ते पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत ने 75 वर्ष को रिटायरमेंट की आयु बताया था। उन्होंने कहा कि जब 75 वर्ष की शॉल ओढ़ाई जाती है, तो इसका अर्थ है कि अब थोड़ा किनारे हो जाना चाहिए। इस बयान के बाद मीडिया में चर्चा तेज हो गई कि क्या पीएम मोदी, जो इस साल 75 साल के हो रहे हैं, इस्तीफा देंगे? धनखड़ का इस्तीफा इस संदर्भ में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
जस्टिस वर्मा के महाभियोग पर चर्चा
जस्टिस यशवंत वर्मा के महाभियोग पर चर्चा की मांग की गई थी। कार्यमंत्रणा समिति ने इस पर चर्चा के लिए समय निर्धारित किया। धनखड़ ने बिना सरकार से विचार किए इस पर चर्चा करने के लिए सहमति दी। यह बात सरकार को पसंद नहीं आई। संसदीय कार्यमंत्री और राज्यसभा के वरिष्ठ नेता जेपी नड्डा भी इस पर चर्चा के लिए नहीं आए। यह स्थिति एक तरह से बॉयकॉट जैसी प्रतीत हुई। धनखड़ ने इस पर सवाल उठाए और कहा कि वे सभापति हैं।
धनखड़ का इस्तीफा और राजनीतिक टकराव
जब टकराव बढ़ा, तो जेपी नड्डा और धनखड़ के बीच सीधी बहस हुई। कहा जा रहा है कि इसी दौरान एक कॉल आई, जिसमें दो विकल्प दिए गए: सरकार के अनुसार रहना या इस्तीफा देना। धनखड़ ने इस्तीफा देने का निर्णय लिया। यह पहली बार है जब संसद की कार्यवाही के दौरान उपराष्ट्रपति ने इस्तीफा दिया है।