उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का उमर अब्दुल्ला पर हमला, राज्य का दर्जा मुद्दा बना

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर तीखा हमला किया है, जिसमें उन्होंने राज्य के दर्जे को बहाना न मानने की बात कही। अब्दुल्ला ने पलटवार करते हुए उपराज्यपाल को सुरक्षा की जिम्मेदारी याद दिलाई और केंद्र पर वादा तोड़ने का आरोप लगाया। यह विवाद जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाता है, जहां पुराने राजनीतिज्ञों का असंतोष बढ़ता जा रहा है। जानें इस मुद्दे की पूरी कहानी।
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उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का उमर अब्दुल्ला पर हमला, राज्य का दर्जा मुद्दा बना

राज्य का दर्जा और राजनीतिक विवाद

श्रीनगर में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर तीखा हमला करते हुए कहा कि “राज्य का दर्जा (Statehood) बहाना नहीं हो सकता” और चुनी हुई सरकार के पास जनता के हित में काम करने के लिए पर्याप्त अधिकार हैं। मनोज सिन्हा ने कहा, “यह कहना कि राज्य का दर्जा मिलने के बाद ही काम होगा, जनता को गुमराह करना है। चुनी हुई सरकार को अपने अधिकारों का प्रयोग जनता के हित में करना चाहिए।”




इसके जवाब में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पलटवार करते हुए उपराज्यपाल को “अपना काम देखने” की सलाह दी और पहलगाम आतंकी हमले की याद दिलाई। उमर ने कहा, “जब सुरक्षा की जिम्मेदारी उपराज्यपाल के अधीन है और ऐसा हमला हुआ, तब वे हमें काम सिखाने की बात कर रहे हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि अपने पिछले छह साल के कार्यकाल में उन्होंने राज्य में कभी किसी पर्यटक को नुकसान नहीं होने दिया। उमर ने केंद्र पर वादा तोड़ने का आरोप लगाते हुए पूछा, “जब संसद और सुप्रीम कोर्ट में राज्य का दर्जा लौटाने का आश्वासन दिया गया था, तो अब इसे टाला क्यों जा रहा है?” उन्होंने पूछा कि आखिर “राज्य का दर्जा लौटाने का उपयुक्त समय तय करने की कसौटी क्या है?”


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देखा जाये तो जम्मू-कश्मीर का प्रश्न आज फिर उसी चौराहे पर खड़ा है जहाँ राजनीति और प्रशासन, दोनों अपनी सीमाएँ टटोल रहे हैं। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का यह तर्क कि “राज्य का दर्जा कामकाज की बाधा नहीं है” प्रशासनिक दृष्टि से सही हो सकता है, परंतु यह बड़ा राजनीतिक मुद्दा भी बनता जा रहा है। वहीं उमर अब्दुल्ला का पलटवार भी केवल राजनीतिक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि उस असंतोष की अभिव्यक्ति है जो 2019 के बाद से जम्मू-कश्मीर के पुराने राजनीतिज्ञों में गहराता जा रहा है।