उपभोक्ता फोरम ने इमामी पर लगाया ₹15 लाख का जुर्माना, गलत प्रचार का मामला

उपभोक्ता फोरम ने इमामी कंपनी पर ₹15 लाख का जुर्माना लगाया है, जो कि 'फेयर एंड हैंडसम' क्रीम के गलत प्रचार के कारण है। एक ग्राहक ने शिकायत की थी कि क्रीम के उपयोग से उसे गोरा होने का कोई परिणाम नहीं मिला। फोरम ने कंपनी को हर्जाना देने और दिल्ली के उपभोक्ता कल्याण विभाग में राशि जमा करने का आदेश दिया है। जानें इस मामले की पूरी कहानी और इमामी का बचाव क्या था।
 | 
उपभोक्ता फोरम ने इमामी पर लगाया ₹15 लाख का जुर्माना, गलत प्रचार का मामला

इमामी पर जुर्माना

उपभोक्ता फोरम ने इमामी पर लगाया ₹15 लाख का जुर्माना, गलत प्रचार का मामला


उपभोक्ता फोरम ने 'फेयर एंड हैंडसम' क्रीम बनाने वाली कंपनी इमामी पर ₹15 लाख का जुर्माना लगाया है। यह कार्रवाई कंपनी द्वारा किए गए गलत प्रचार के कारण की गई है।


ग्राहक की शिकायत

एक ग्राहक ने इमामी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उसने कहा कि क्रीम के उपयोग के तीन सप्ताह बाद भी उसकी त्वचा में कोई बदलाव नहीं आया।


फोरम ने आदेश दिया कि इमामी को शिकायतकर्ता को ₹50 हजार का हर्जाना देना होगा और ₹14.5 लाख की राशि दिल्ली के उपभोक्ता कल्याण विभाग में जमा करनी होगी। इसके अलावा, इमामी को शिकायतकर्ता को ₹10 हजार अलग से देने का भी निर्देश दिया गया है।


मामले की पृष्ठभूमि

दिल्ली के निवासी निखिल जैन ने फरवरी 2013 में इमामी के खिलाफ यह मामला दायर किया था। उन्होंने अक्टूबर में ₹79 की कीमत वाली फेयर एंड हैंडसम क्रीम खरीदी थी। कंपनी का दावा था कि यदि इसे दिन में दो बार तीन सप्ताह तक लगाया जाए, तो उपयोगकर्ता गोरा हो जाएगा।


निखिल ने बताया कि क्रीम के पैकेट पर लिखा था, "तेजी से चमकते गोरेपन के लिए चेहरे और गर्दन पर दिन में दो बार लगाएँ।" लेकिन उन्होंने कोई सकारात्मक परिणाम नहीं देखा।


इमामी का बचाव

इमामी ने फोरम में कहा कि निखिल का क्रीम खरीदने का दावा गलत है। कंपनी के वकील ने कहा कि निखिल यह साबित नहीं कर सके कि उन्होंने खुद क्रीम खरीदी थी।


कंपनी ने यह भी कहा कि किसी भी क्रीम का प्रभाव कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि सही उपयोग और जीवनशैली।


उपभोक्ता फोरम का निर्णय

उपभोक्ता फोरम ने 9 दिसंबर 2024 को इस मामले में अपना फैसला सुनाया। फोरम ने कहा कि इमामी ने भ्रामक विज्ञापन किया है और इसके परिणामस्वरूप कंपनी पर ₹15 लाख का जुर्माना लगाया गया।


इसमें से ₹14.5 लाख दिल्ली के उपभोक्ता कल्याण कोष में और ₹50 हजार शिकायतकर्ता को दिए जाने का आदेश दिया गया है।