उद्धव ठाकरे ने भाजपा पर राज ठाकरे के साथ गठबंधन की कोशिशें खत्म करने का आरोप लगाया

राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप
शिवसेना (उबाठा) के नेता उद्धव ठाकरे ने बृहस्पतिवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर आरोप लगाया कि वह उनके चचेरे भाई राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के साथ गठबंधन की संभावनाओं को समाप्त करने का प्रयास कर रही है। इस बीच, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने ठाकरे पर हिंदुत्व को छोड़ने का आरोप लगाया।
उद्धव ने हिंदी फिल्म ‘प्रहार’ के एक संवाद का जिक्र करते हुए ‘गद्दारों’ को चुनौती दी। वह शिंदे के नेतृत्व वाले समूह को ‘गद्दार’ मानते हैं, जो तीन साल पहले उन्हें छोड़कर भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल हो गया था।
उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे दोनों ने 1966 में बाल ठाकरे द्वारा स्थापित शिवसेना के 59वें स्थापना दिवस के अवसर पर मुंबई में अपनी-अपनी पार्टियों की रैलियों को संबोधित किया।
शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना का कार्यक्रम वर्ली के एनएससीआई डोम में हुआ, जबकि शिवसेना (उबाठा) की रैली सायन क्षेत्र के षणमुखानंद हॉल में आयोजित की गई। उद्धव ने कहा, “लोगों की इच्छाओं के अनुसार ही सब कुछ होगा। हम दिखाएंगे कि यह कैसे संभव है। भाजपा और शिंदे सेना नहीं चाहती कि मराठी पार्टियां एकजुट हों। यदि आप ठाकरे ‘ब्रांड’ को समाप्त करने का प्रयास करेंगे, तो हम भाजपा को समाप्त कर देंगे।”
फिल्म ‘प्रहार’ के प्रसिद्ध संवाद को दोहराते हुए ठाकरे ने कहा, “फिल्म में नाना पाटेकर की तरह, मैं इन गद्दारों के सामने खड़ा हूं और उनसे कह रहा हूं, आओ, मुझे मार दो।”
ठाकरे ने ‘त्रिशूल’ फिल्म का नाम लिए बिना कहा, “लेकिन अगर आप मुझ पर हमला करने की हिम्मत करते हैं, तो अमिताभ बच्चन की फिल्म की तरह एम्बुलेंस लेकर आएं, क्योंकि आपका भी यही हश्र होगा।”
शिंदे ने वर्ली में रैली के दौरान पलटवार करते हुए कहा, “सिर्फ बातें करना काफी नहीं है। आपको कलाइयों में ताकत की आवश्यकता है।” पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने यह भी कहा कि राज्य में हिंदी को किसी भी कीमत पर थोपने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा निकाय चुनावों से पहले मराठी और हिंदी भाषी लोगों के बीच विभाजन पैदा करना चाहती है।
उद्धव ठाकरे ने विश्वास व्यक्त किया कि उनकी पार्टी मुंबई नगर निकाय पर अपना नियंत्रण बनाए रखेगी। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा के पास अपनी कोई विरासत नहीं है और उसे सरदार वल्लभभाई पटेल की एक विशाल प्रतिमा स्थापित करनी पड़ी, जिन्होंने देश के गृह मंत्री रहते हुए आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया था।