उत्तराखंड सरकार ने भूमि घोटाले में अधिकारियों को निलंबित किया
उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने भूमि घोटाले के सिलसिले में हरिद्वार के कई वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई एक विस्तृत जांच रिपोर्ट के आधार पर की गई है, जिसमें 12 अधिकारियों को दोषी ठहराया गया है। मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी सरकार की "शून्य-सहिष्णुता" नीति को स्पष्ट करते हुए चेतावनी दी है कि किसी भी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और सरकार की कार्रवाई के पीछे की वजह।
Jun 3, 2025, 16:14 IST
|

भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम
पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने मंगलवार को भूमि घोटाले के मामले में हरिद्वार के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम), उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) और नगर आयुक्त को तुरंत निलंबित कर दिया। यह मामला एक भूखंड की कीमत को 14 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 54 करोड़ रुपये में खरीदने से संबंधित है। मुख्यमंत्री धामी ने जांच के आदेश दिए थे, जिसके बाद पहली बार सभी वरिष्ठ अधिकारियों को एक साथ निलंबित किया गया। उत्तराखंड प्रशासन के सचिन रणवीर की अगुवाई में हुई जांच के बाद सरकार को 100 पृष्ठों की एक विस्तृत रिपोर्ट प्राप्त हुई, जिसमें 12 अधिकारियों, जिनमें दो आईएएस और एक राज्य सिविल सेवा अधिकारी शामिल हैं, को दोषी ठहराया गया। इसके परिणामस्वरूप यह अभूतपूर्व प्रशासनिक बदलाव हुआ।
भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई
इस मामले को राज्य सतर्कता विभाग को सौंपा गया है, जो सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी की जांच करेगा। मुख्यमंत्री धामी ने अपनी सरकार की "शून्य-सहिष्णुता" नीति पर जोर देते हुए कहा कि यदि कोई अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त पाया गया, तो उसे किसी भी पद पर होने के बावजूद बख्शा नहीं जाएगा।
जांच रिपोर्ट का सारांश
मामले की व्याख्या
जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि जिस भूमि का मूल्यांकन प्रारंभ में कृषि दरों पर किया गया था, उसे बाद में वाणिज्यिक दरों पर खरीदा गया। इसके लिए एक भूमि पूलिंग समिति का गठन आवश्यक था, जो कानूनी रूप से अनिवार्य है। यह समिति भूमि अधिग्रहण में पारदर्शिता बनाए रखने और संतुलित निर्णय लेने में मदद करती है। इसकी मंजूरी के बिना, निजी या व्यावसायिक उपयोग के लिए भूमि का अधिग्रहण नहीं किया जा सकता।