उत्तराखंड में बाढ़ और भूस्खलन: बचाव कार्य जारी, स्थिति गंभीर

उत्तरकाशी में बाढ़ का कहर
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में भारी बारिश के कारण बुधवार सुबह धराली में आपदा पीड़ितों की खोज के लिए राहत कार्य फिर से आरंभ किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से संपर्क कर स्थिति की जानकारी ली। मंगलवार को बादल फटने से खीरगंगा नदी में आई भयंकर बाढ़ ने लगभग आधे गांव को तबाह कर दिया। धराली गंगोत्री धाम से लगभग 20 किलोमीटर पहले स्थित है और यह यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है.
बाढ़ से जानमाल का नुकसान
राज्य सरकार के अनुसार, इस विनाशकारी बाढ़ में चार लोगों की जान चली गई है, जबकि विभिन्न एजेंसियों द्वारा चलाए जा रहे बचाव कार्य में 130 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला गया है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि बाढ़ में 50 से अधिक लोग लापता हो सकते हैं, क्योंकि पानी के अचानक आने से उन्हें सुरक्षित स्थानों पर जाने का समय नहीं मिला। हालांकि, घटनास्थल पर मलबे से अभी तक कोई शव नहीं मिला है.
सेना का राहत कार्य
सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष श्रीवास्तव ने बताया कि लापता लोगों में 11 सैनिक भी शामिल हैं। 14 राज रिफ के कमांडिंग अधिकारी कर्नल हर्षवर्धन 150 सैनिकों की टीम के साथ राहत और बचाव कार्य का नेतृत्व कर रहे हैं। भारतीय सेना ने फंसे लोगों को निकालने के लिए एमआई-17 और चिनूक हेलीकॉप्टरों को तैनात किया है.
मुख्यमंत्री का निरीक्षण
मुख्यमंत्री धामी बुधवार को धराली बाजार, हर्षिल और आसपास के क्षेत्रों में आपदा से हुए नुकसान का निरीक्षण करेंगे। अधिकारियों ने बताया कि आपदा में हुए नुकसान को देखते हुए राहत कार्यों और क्षतिग्रस्त संपत्तियों की मरम्मत के लिए राज्य आपदा मोचन निधि से 20 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है.
भूस्खलन और बाढ़ की स्थिति
उत्तराखंड के धरासू क्षेत्र में भूस्खलन के कारण सड़क अवरुद्ध हो गई है। पहाड़ का एक बड़ा हिस्सा अचानक गिरने से सड़क पर बड़े पत्थर और चट्टानें आ गिरी हैं। गनीमत यह रही कि यह घटना सुबह हुई जब कोई वाहन वहां से नहीं गुजर रहा था। अलकनंदा और भागीरथी नदियाँ खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है.
केदारनाथ यात्रा स्थगित
बिगड़ते मौसम और अवरुद्ध मार्गों के कारण केदारनाथ यात्रा को अस्थायी रूप से रोक दिया गया है। अधिकारियों ने तीर्थयात्रियों से सुरक्षित स्थानों पर रहने का आग्रह किया है, जब तक स्थिति में सुधार नहीं होता.