उत्तराखंड में चार धाम यात्रा का दूसरा चरण जारी, 46 लाख श्रद्धालुओं ने किया दर्शन

उत्तराखंड में चार धाम यात्रा का दूसरा चरण सफलतापूर्वक जारी है, जिसमें 46 लाख श्रद्धालुओं ने भाग लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यात्रा की प्रगति और सुरक्षा उपायों पर जोर दिया है। इस वर्ष कई आपदाओं के बावजूद, यात्रा को सुरक्षित और सुखद बनाने के लिए प्रशासनिक टीमें सक्रिय हैं। जानें यात्रा की स्थिति, सुरक्षा उपाय और श्रद्धालुओं के लिए प्रशासन की तैयारियों के बारे में।
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उत्तराखंड में चार धाम यात्रा का दूसरा चरण जारी, 46 लाख श्रद्धालुओं ने किया दर्शन

चार धाम यात्रा की प्रगति

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को जानकारी दी कि चार धाम यात्रा का दूसरा चरण सफलतापूर्वक चल रहा है, भले ही इस वर्ष कई आपदाएँ आईं। उन्होंने बताया कि इस साल अब तक 46 लाख श्रद्धालुओं ने यात्रा की है, जिसमें से 16 लाख श्रद्धालुओं ने केदारनाथ के दर्शन किए हैं। सीएम धामी ने विश्वास जताया कि यात्रा के शेष दिनों में और भी श्रद्धालु आएंगे।


उन्होंने कहा कि यात्रा को सुरक्षित और सुखद बनाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।


आपदाओं का प्रभाव

चार धाम यात्रा की शुरुआत 30 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलने के साथ हुई। इसके बाद केदारनाथ के कपाट 2 मई को और बद्रीनाथ के कपाट 4 मई को खोले गए। हालांकि, मानसून के दौरान भारी बारिश, बादल फटने और भूस्खलन ने यात्रा को प्रभावित किया। गंगोत्री धाम के रास्ते में धराली क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाओं ने काफी नुकसान पहुँचाया।


सड़कें क्षतिग्रस्त होने के कारण गंगोत्री और यमुनोत्री की यात्रा को अस्थायी रूप से रोकना पड़ा। बारिश थमने के बाद यात्रा को फिर से शुरू करना एक चुनौती बन गया।


सुरक्षा उपाय और प्रशासनिक प्रयास

हालांकि, प्रशासनिक टीमें यात्रा मार्गों को फिर से खोलने और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही हैं। गंगोत्री और यमुनोत्री की तीर्थयात्राएँ अब कड़े सुरक्षा उपायों के साथ फिर से शुरू हो चुकी हैं। अधिकारियों ने श्रद्धालुओं से सतर्क रहने की अपील की है और खराब मौसम में यात्रा से बचने की सलाह दी है।


मुख्यमंत्री धामी ने सभी जिला अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे तीर्थयात्रियों और स्थानीय निवासियों की सुरक्षा को प्राथमिकता दें। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि सभी आवश्यक सुविधाएँ और सुरक्षा व्यवस्थाएँ मार्गों पर उपलब्ध रहें।