उत्तराखंड में अधिकारियों का निलंबन: भूमि खरीद घोटाले की जांच में कार्रवाई

हरिद्वार में अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई
उत्तराखंड सरकार ने हरिद्वार के जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह और नगर निगम के पूर्व आयुक्त वरुण चौधरी को निलंबित कर दिया है। इसके साथ ही पीसीएस अधिकारी अजय वीर का भी निलंबन किया गया है।
इन अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने भूमि खरीद में लापरवाही बरती। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर अब तक 10 अधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है, जबकि दो कर्मचारियों का सेवा विस्तार समाप्त कर दिया गया है.
भूमि खरीद घोटाले का विवरण
क्या था मामला?
- हरिद्वार नगर निगम में भूमि खरीद घोटाले का मामला सामने आया है।
- 19 सितंबर से शुरू होकर 26 अक्टूबर तक भूमि खरीद की प्रक्रिया चली।
- नवंबर में तीन अलग-अलग तारीखों पर 33-34 बीघा भूमि खरीदी गई।
- इस भूमि की कुल कीमत 53.70 करोड़ रुपये थी।
- खरीद के दौरान भूमि की श्रेणी में बदलाव किया गया।
- इस बदलाव से 13 करोड़ की भूमि की कीमत 53 करोड़ रुपये हो गई।
- श्रेणी परिवर्तन की प्रक्रिया 3 अक्टूबर से 21 अक्टूबर के बीच हुई।
- यह प्रक्रिया भूमि खरीद के समय के दौरान हुई।
नियमों की अनदेखी
हरिद्वार नगर निगम द्वारा सराय गांव में अनुपयुक्त कृषि भूमि को महंगे दामों पर खरीदे जाने के मामले ने प्रदेश में हलचल मचा दी थी। जांच में यह पाया गया कि इस भूमि की आवश्यकता नहीं थी और पारदर्शी बोली प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
मुख्यमंत्री धामी ने इस मामले की जांच के आदेश दिए थे। जांच में गंभीर अनियमितताएं सामने आईं, जिसके बाद सभी दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई।
मुख्यमंत्री का बयान
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उनकी सरकार ने हमेशा यह स्पष्ट किया है कि उत्तराखंड में 'पद' नहीं, 'कर्तव्य' और 'जवाबदेही' महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि यदि कोई भी अधिकारी जनहित और नियमों की अवहेलना करेगा, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
जांच अधिकारी की रिपोर्ट
शहरी विकास विभाग ने प्रारंभिक जांच के लिए आईएएस रणवीर सिंह चौहान को नियुक्त किया था। जांच में पाया गया कि कर्मेंद्र सिंह ने अपने दायित्वों की अनदेखी की और नगर निगम के हितों का ध्यान नहीं रखा। उन्हें गंभीर आरोपों के चलते निलंबित कर दिया गया है।