उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हत्या मामले में जांच अधिकारियों की रिपोर्ट पर जताई नाराजगी

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हत्या के एक मामले में दो जांच अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत की गई विरोधाभासी रिपोर्टों पर नाराजगी जताई है। एक अधिकारी ने आरोपी को निर्दोष मानते हुए अंतिम रिपोर्ट पेश की, जबकि दूसरे ने उसे आरोपी ठहराते हुए चार्जशीट दाखिल की। अदालत ने इस मामले में जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए पुलिस महानिदेशक और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को अदालत में उपस्थित होने का निर्देश दिया। मामले का संबंध हरिद्वार जिले में भूमि विवाद के चलते हुई झड़प से है, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। अदालत ने जांच की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि एक ही अधिकारी को जिम्मेदारी दी जाती, तो निष्कर्ष अधिक सटीक होते।
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उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हत्या मामले में जांच अधिकारियों की रिपोर्ट पर जताई नाराजगी

जांच अधिकारियों की विरोधाभासी रिपोर्ट

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने एक हत्या के मामले में दो जांच अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत की गई विरोधाभासी रिपोर्टों पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है। एक अधिकारी ने आरोपी को निर्दोष मानते हुए अंतिम रिपोर्ट पेश की, जबकि दूसरे ने उसे आरोपी ठहराते हुए चार्जशीट दाखिल की।


जमानत याचिका पर सुनवाई

न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकल पीठ ने बृहस्पतिवार को आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और संबंधित वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को अदालत में उपस्थित होने का निर्देश दिया गया।


मामले का विवरण

यह मामला हरिद्वार जिले के मंगलौर थाना क्षेत्र में भूमि विवाद के चलते दो पक्षों के बीच हुई झड़प से संबंधित है, जिसमें एक व्यक्ति की जान चली गई और सात अन्य घायल हुए। आरोपी ने अपनी रिहाई के लिए जमानत याचिका दायर की थी।


वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई

सुनवाई के दौरान दोनों जांच अधिकारी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अदालत में उपस्थित हुए। राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत वीडियो क्लिप देखने के बाद अदालत ने कहा कि दोनों प्राथमिकियों में एक ही चार्जशीट दाखिल की जानी चाहिए थी।


विरोधाभासी निष्कर्षों पर अदालत की टिप्पणी

हालांकि, एक प्राथमिकी के लिए चार्जशीट दाखिल की गई थी, जबकि दूसरी प्राथमिकी के लिए जांच अधिकारी ने अंतिम रिपोर्ट पेश की, जबकि दोनों प्राथमिकियां एक ही आपराधिक घटना से संबंधित थीं। अदालत ने कहा कि एक ही मामले के लिए दो अलग-अलग अधिकारियों की नियुक्ति के कारण विरोधाभासी निष्कर्ष सामने आए। यदि एक ही जांच अधिकारी को जिम्मेदारी दी जाती, तो एक सटीक रिपोर्ट की उम्मीद की जा सकती थी। अदालत ने यह भी कहा कि विरोधाभासी रिपोर्टों से स्पष्ट होता है कि जांच उचित तरीके से नहीं की गई।