उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने जिला पंचायत चुनाव में मतपत्र छेड़छाड़ की सुनवाई की

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने नैनीताल जिला पंचायत के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए मतगणना के दौरान एक मतपत्र में छेड़छाड़ के मामले की सुनवाई की। न्यायालय ने जिलाधिकारी को निर्वाचन आयोग की पुस्तिका पेश करने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि एक मतपत्र में ओवरराइटिंग की गई, जिससे चुनाव परिणाम प्रभावित हुआ। जानें इस मामले में अदालत का क्या निर्णय आया और निर्वाचन आयोग की भूमिका क्या है।
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उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने जिला पंचायत चुनाव में मतपत्र छेड़छाड़ की सुनवाई की

नैनीताल जिला पंचायत चुनाव में मतपत्र विवाद

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने मंगलवार को नैनीताल जिला पंचायत के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए मतगणना के दौरान एक मतपत्र में कथित छेड़छाड़ के मामले की सुनवाई की। न्यायालय ने नैनीताल की जिलाधिकारी को निर्देश दिया कि वे निर्वाचन आयोग की पुस्तिका "जिला पंचायत अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष निर्वाचन एवं विवाद समाधान नियम, 1994" को 27 अगस्त को अदालत में पेश करें।


मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने 14 अगस्त को हुई मतगणना के दौरान एक मतपत्र में छेड़छाड़ के संबंध में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिए।


सुनवाई के दौरान, अदालत ने सुझाव दिया कि याचिका में उठाए गए विवादों को निर्वाचन आयोग के पास निर्णय के लिए भेजा जाना चाहिए। हालांकि, याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि निर्वाचन आयोग भी इस मामले में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आरोपी है।


उन्होंने कहा कि यदि आयोग के समक्ष कोई शिकायत नहीं भी दी गई, तो भी उसे स्वत: संज्ञान लेना चाहिए था कि पांच जिला पंचायत सदस्यों ने मतदान नहीं किया।


जिला पंचायत सदस्य पूनम बिष्ट ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर पुनर्मतदान का आदेश देने की मांग की थी। याचिका में आरोप लगाया गया कि एक मतपत्र में छेड़छाड़ की गई और एक उम्मीदवार के नाम के सामने अंक को ओवरराइटिंग कर बदल दिया गया, जिससे उस वोट को अवैध घोषित किया गया और चुनाव परिणाम प्रभावित हुआ।


चौदह अगस्त को हुए चुनाव में 27 जिला पंचायत सदस्य वोट डालने के लिए पात्र थे, जिनमें से 22 ने मतदान किया, जबकि पांच सदस्यों के अपहरण की प्राथमिकी तल्लीताल थाने में दर्ज कराई गई थी। हालांकि, इन पांच सदस्यों ने बाद में एक वीडियो जारी कर अपनी सुरक्षा की पुष्टि की और हलफनामा दाखिल कर कहा कि वे अपनी मर्जी से मतदान से दूर रहे।